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मणिपुर वायरल वीडियो केस: केंद्र और बीरेन सिंह सरकार के खिलाफ SC पहुंचीं पीड़िता, CJI आज करेंगे सुनवाई

मणिपुर में 19 जुलाई को एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था. इसमें दो कुकी महिलाओं को भीड़ द्वारा सड़क पर नग्न घुमाया गया था. इतना ही नहीं महिला के साथ रेप भी हुआ था. ये वीडियो मणिपुर में 3 मई को फैली हिंसा के अगले दिन यानी चार मई का बताया जा रहा है.

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मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने का वीडियो हुआ था वायरल
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने का वीडियो हुआ था वायरल

मणिपुर में पिछले दिनों दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने का वीडियो वायरल हुआ था. इस मामले में पीड़िताओं ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिकाकर्ताओं ने SC में मणिपुर सरकार और केंद्र के खिलाफ याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच इस पर आज सुनवाई करेगी. याचिकाकर्ताओं की मांग है कि उनकी पहचान की भी सुरक्षा की जाए.

दरअसल, मणिपुर में 19 जुलाई को एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था. इसमें दो कुकी महिलाओं को भीड़ द्वारा सड़क पर नग्न घुमाया गया था. इतना ही नहीं महिला के साथ रेप भी हुआ था. ये वीडियो मणिपुर में 3 मई को फैली हिंसा के अगले दिन यानी चार मई का बताया जा रहा है. इस मामले में पुलिस ने 18 मई को कांगपोकपी जिले में सैकुल पुलिस जीरो FIR दर्ज की गई थी. बाद में इसे नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया गया था. 

मणिपुर में 3 मई को फैली थी हिंसा

मणिपुर में फैली हिंसा के मध्य में मैतेई और कुकी समाज है. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा मांग रहा है. मणिपुर हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने 20 अप्रैल को इस मामले में एक आदेश दिया था. इस आदेश में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था.

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- कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला था. ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई.

- इसके बाद से राज्य में लगातार हिंसा की घटनाएं हो रही हैं. अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, हजारों घरों को जला दिया गया. हिंसा में अब तक 50 हजार से ज्यादा लोग बेघर हुए हैं. ये लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं.

4 मई को क्या हुआ?

4 मई को हुई इस घटना की शिकायत 18 मई को पुलिस को दी गई थी. पुलिस ने इस मामले में 21 जून को एफआईआर दर्ज की थी. एफआईआर के मुताबिक, शिकायत में कहा गया है कि 4 मई की दोपहर तीन बजे अज्ञात लोगों ने उनके गांव पर हमला बोल दिया. उस दिन 900 से 1000 लोगों ने थोबल में स्थित उनके गांव पर हमला किया था. ये हमलावर मैतेई समुदाय से जुड़े थे. इस भीड़ ने गांव पर हमला कर घरों में आग लगा दी और इसके बाद नकदी और गहने समेत कीमती सामान को लूट लिया. 

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- हमला होने पर तीन महिलाएं अपने पिता और भाई के साथ जंगल की ओर भागे. पुलिस की टीम ने इन्हें बचा लिया. पुलिस उन्हें थाने लेकर जा ही रही थी कि भीड़ ने रास्ता रोक लिया. और पुलिस से उन महिलाओं और उनके पिता-भाई को छीन लिया. ये सब थाने पहुंचने से दो किलोमीटर पहले हुआ. भीड़ ने पुलिस के सामने ही उन महिलाओं के पिता की हत्या कर दी. इसके बाद तीनों महिलाओं को कपड़े उतारने को मजबूर किया. इनमें से एक की उम्र 21 साल, दूसरी की 42 साल और तीसरी की 52 साल थी.

 

 

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