मणिपुर में हालात एक बार फिर बिगड़ गए हैं. राज्य के बिष्णुपुर समेत कई जगहों पर गोलीबारी के बाद स्थिति तनावपूर्ण बन गई है. अनियंत्रित भीड़ की सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प भी हुई है. मणिपुर पुलिस की ओर से बताया गया है कि सुरक्षा बलों ने सात अवैध बंकरों को नष्ट कर दिया है.
जानकारी के मुताबिक, अनियंत्रित भीड़ ने बिष्णुपुर जिले में दूसरी आईआरबी यूनिट की चौकियों पर हमला किया और गोला-बारूद समेत कई हथियार लूटकर ले गए. मणिपुर पुलिस ने बताया कि भीड़ ने मणिपुर राइफल्स की दूसरी और 7टीयू बटालियन से हथियार और गोला-बारूद छीनने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने उन्हें खदेड़ दिया.
ये भी पढ़ें- मणिपुर में हिंसा के दौरान लूटे गए 4600 हथियार, 3400 अभी भी रिकवर नहीं हुए

सुरक्षा बलों और उपद्रवियों के बीच फायरिंग
इस बीच सशस्त्र बलों और उपद्रवियों के बीच गोलीबारी भी हुई, जिसमें कई सुरक्षाकर्मी घायल हो गए. सुरक्षा बलों ने उपद्रवियों पर जवाबी कार्रवाई भी की. मणिपुर पुलिस का कहना है कि स्थिति फिर से बेकाबू हो गई है. हथियार और गोला-बारूद लूटे गए हैं.

हालात काबू करने के लिए छोड़े आंसू गैस के गोले
इससे पहले बिष्णुपुर में सुरक्षाबलों और उपद्रवियों के बीच गुरुवार की शाम को हिंसक झड़प हुई थी. हालात को काबू करने के लिए सुरक्षा बलों को हवाई फायरिंग के साथ आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े. इसके साथ ही मणिपुर के इंफाल और पश्चिमी इंफाल जिलों में कर्फ्यू में दी गई ढील वापस ले ली गई.

बिष्णुपुर में बनाया गया है बफर जोन
दरअसल, बिष्णुपुर में एक बफर जोन बनाया गया है, मैतेई प्रदर्शनकारी महिलाएं उस बफर जोन को पार करने की कोशिश कर रही थीं. इस दौरान ही असम राइफल्स ने उन्हें रोकने की कोशिश की. इसके बाद लोगों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया. सशस्त्र बलों ने पहले मिर्च का स्प्रे कर भीड़ को रोकने की कोशिश की, लेकिन भीड़ शांत नहीं हुई. इसके बाद सुरक्षाबलों को हवाई फायरिंग करनी पड़ी.
ये भी पढ़ें- FIR से जांच तक मणिपुर हिंसा की स्टेसस रिपोर्ट में चूक ही चूक, सुप्रीम कोर्ट ने जमकर लगाई लताड़
मणिपुर में 3 मई को पहली बार हुई थी हिंसा
मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी. मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया था. तब पहली बार मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं. हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए.
मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. कुकी और नागा समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत से ज्यादा है. ये लोग पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
मणिपुर में विवाद के क्या कारण
- कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला है, लेकिन मैतेई अनूसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहे हैं.
- नागा और कुकी का साफ मानना है कि सारी विकास की मलाई मूल निवासी मैतेई ले लेते हैं. कुकी ज्यादातर म्यांमार से आए हैं.
- मणिपुर के चीफ मिनिस्टर ने मौजूदा हालात के लिए म्यांमार से घुसपैठ और अवैध हथियारों को ही जिम्मेदार ठहराया है. करीब 200 सालों से कुकी को स्टेट का संरक्षण मिला. कई इतिहासकारों का मानना है कि अंग्रेज नागाओं के खिलाफ कुकी को लाए थे.
- नागा अंग्रेजों पर हमले करते तो उसका बचाव यही कुकी करते थे. बाद में अधिकतर ने इसाई धर्म स्वीकार कर लिया जिसका फायदा मिला और एसटी स्टेटस भी मिला.
- जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में स्पेशल सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ नॉर्थ ईस्ट इंडिया में असिसटेंट प्रफेसर खुरीजम बिजॉयकुमार सिंह ने बताया कि मणिपुर की हिंसा सिर्फ दो ग्रुप का ही झगड़ा नहीं है, बल्कि ये कई समुदायों से भी बहुत गहरे जुड़ा है. ये कई दशकों से जुड़ी समस्या है. अभी तक सिर्फ सतह पर ही देखी जा रही है.