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मणिपुर: राष्ट्रपति शासन के बीच कुकी-जो महिलाओं का प्रदर्शन, मैतेई श्रद्धालुओं की धार्मिक यात्रा रोकी

प्रदर्शन का मुख्य केंद्र न्यू ज़ालेनफाई रहा, जहां महिलाएं हाथों में तख्तियां लेकर और नारे लगाते हुए सड़कों पर बैठ गईं. उन्होंने बफर ज़ोन की सुरक्षा और कुकी-जो समुदाय के राजनीतिक अधिकारों की मान्यता की मांग की. इसी प्रकार के प्रदर्शन गोथोल और खौसाबुंग में भी देखे गए. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मैतेई श्रद्धालुओं को कुकी-जो भूमि माने जाने वाले क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी.

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कुकी जो महिलाओं का प्रदर्शन
कुकी जो महिलाओं का प्रदर्शन

मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में रविवार को हजारों कुकी-जो महिलाओं ने थांगजिंग पहाड़ियों के नीचे और प्रमुख बफर जोन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन किया. इसका उद्देश्य मैतेई समुदाय के श्रद्धालुओं को उनकी वार्षिक चेइराओबा तीर्थयात्रा के दौरान पवित्र थांगजिंग पहाड़ियों तक पहुंचने से रोकना था.

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प्रदर्शन का मुख्य केंद्र न्यू ज़ालेनफाई रहा, जहां महिलाएं हाथों में तख्तियां लेकर और नारे लगाते हुए सड़कों पर बैठ गईं. उन्होंने बफर ज़ोन की सुरक्षा और कुकी-जो समुदाय के राजनीतिक अधिकारों की मान्यता की मांग की. इसी प्रकार के प्रदर्शन गोथोल और खौसाबुंग में भी देखे गए. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मैतेई श्रद्धालुओं को कुकी-जो भूमि माने जाने वाले क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी.

ये समन्वित प्रदर्शन छह कुकी-जो नागरिक संगठनों—जैसे कि कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन और कुकी वीमेन यूनियन—द्वारा जारी 9 अप्रैल के उस बयान के बाद हुए हैं जिसमें मैतेई समुदाय से थांगजिंग पहाड़ियों में ‘छिंग काबा’ अनुष्ठान के लिए प्रवेश न करने का आग्रह किया गया था.

बयान में कहा गया था, “जब तक भारत सरकार संविधान के तहत कुकी-जो समुदाय के लिए राजनीतिक समाधान नहीं निकालती, तब तक इस क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा सकती.” उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी प्रकार के प्रवेश को सीधा खतरा माना जाएगा और किसी भी संभावित हिंसा की पूरी ज़िम्मेदारी मैतेई समुदाय पर होगी.

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गौरतलब है कि वर्तमान में बफर ज़ोन सुरक्षा निगरानी में है और यह मैतेई बहुल घाटी जिलों तथा कुकी-जो बहुल पहाड़ी क्षेत्रों के बीच एक सीमा रेखा का कार्य करता है. हालाँकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है और गृह मंत्रालय ने स्वतंत्र आवाजाही के निर्देश दिए हैं, लेकिन ज़मीनी स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मैतेई हेरिटेज सोसाइटी ने कुकी-जो संगठनों के बयान को “असंवैधानिक और भड़काऊ” करार दिया और केंद्र व राज्य सरकार से त्वरित कार्रवाई की माँग की.

समूह ने अपने बयान में कहा, “यह संविधान में प्रदत्त आवागमन और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन है. प्राचीन काल से ही मैतई समुदाय थांगजिंग पर्वत के रक्षक देवता ईबुधौ थांगजिंग की पूजा के लिए यहां वार्षिक तीर्थयात्रा करता आया है. इस तरह की रोक एक हिंदू को कैलाश पर्वत या एक मुसलमान को मक्का जाने से रोकने के समान है."

मैतेई समुदाय थांगजिंग चिंग को अपनी नववर्ष पर्व चेइराओबा के अवसर पर पवित्र मानता है. शाजिबू महीने के पहले दिन परंपरागत रूप से यह पर्व मनाया जाता है और पहाड़ी पर चढ़ाई इसका अहम हिस्सा है. वहीं, कुकी-जो समुदाय उसी पर्वतीय श्रृंखला को ‘थांगतिंग’ कहता है, जो चुराचांदपुर जिले में स्थित है और मोइरांग कस्बे से लगभग 40 किमी की दूरी पर है.

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