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मणिपुर में राष्ट्रपति शासन 6 महीने और बढ़ा, हंगामे के बीच राज्यसभा से मिली मंजूरी

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि मणिपुर में दो समुदायों के बीच विवाद एक न्यायालय के आदेश से पैदा हुआ, जो आरक्षण से जुड़ा हुआ था. जो लोग इसे धार्मिक हिंसा कह रहे हैं, वे गलत हैं. यह विवाद हाईकोर्ट के एक आदेश से उपजा था.

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राज्यसभा से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन 6 महीने और बढ़ाने की मंजूरी मिल गई है (Photo: PTI)
राज्यसभा से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन 6 महीने और बढ़ाने की मंजूरी मिल गई है (Photo: PTI)

संसद ने आज मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि 13 अगस्त के बाद 6 महीने के लिए और बढ़ाने संबंधी वैधानिक प्रस्ताव (Statutory Resolution) को मंजूरी दे दी है. ये प्रस्ताव लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका था, जिसे अब राज्यसभा ने भी हंगामे के बीच पारित कर दिया.

राज्यसभा में चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष संशोधन (Special Intensive Revision- SIR) को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. इस बीच उपसभापति हरिवंश ने कहा कि यह एक संवैधानिक दायित्व है, जिसे समयसीमा के भीतर पूरा किया जाना जरूरी है. हम सभी सांसदों को संविधान का पालन करना होता है. 

समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक उपसभापति हरिवंश ने इसके बाद YSRCP सांसद सुभाष चंद्र बोस पिल्ली को बोलने के लिए कहा, लेकिन टीएमपी (TMP) सांसद उनके पास खड़े होकर नारेबाजी करते रहे. इस बीच बीजेडी सांसद मुजीबुल्ला खान ने कहा कि जब मणिपुर में कानून-व्यवस्था बिगड़ी थी, तब अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया गया. अब ओडिशा में भी स्थिति खराब है. उन्होंने कहा कि मणिपुर के मामले में डबल इंजन सरकार फेल रही. इतने महीनों में राष्ट्रपति शासन के बाद क्या हालात सुधरे? इस पर केंद्र सरकार को जवाब देना चाहिए. बार-बार निर्वाचित सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाना भी सही नहीं है.

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वहीं, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि मणिपुर में दो समुदायों के बीच विवाद एक न्यायालय के आदेश से पैदा हुआ, जो आरक्षण से जुड़ा हुआ था. जो लोग इसे धार्मिक हिंसा कह रहे हैं, वे गलत हैं. यह विवाद हाईकोर्ट के एक आदेश से उपजा था.

नित्यानंद राय ने यह भी बताया कि गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और वहां वरिष्ठ अधिकारियों, सुरक्षाबलों और नागरिक समाज के लोगों से मुलाकात की. उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर भारत में व्यापक विकास हुआ है.उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद से अब तक हिंसा की केवल एक घटना रिपोर्ट की गई है. इसके बाद राज्यसभा ने यह प्रस्ताव पारित कर दिया.

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