रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ के संतों के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी के विरोध में पश्चिम बंगाल के साधु-संन्यासियों ने 24 मई को कोलकाता में एक रैली निकालने का फैसला किया है. विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और पश्चिम बंगाल में संतों की शीर्ष संस्था बंगीय संन्यासी समाज के सदस्यों द्वारा उत्तरी कोलकाता में 'संत स्वाभिमान यात्रा' का आयोजन किया जाएगा. रैली में भाग लेने वाले साधु-संन्यासी रविवार को जलपाईगुड़ी में रामकृष्ण मिशन आश्रम पर हुए हमले के विरोध में प्रदर्शन करेंगे.
कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने 19 मई को जलपाईगुड़ी में रामकृष्ण मिशन (आरकेएम) के परिसर पर हमला किया था और बंदूक की नोक पर संतों और अन्य कर्मचारियों को धमकी दी थी. आरकेएम के एक अधिकारी ने बताया कि इस घटना के पीछे स्थानीय भू-माफिया का हाथ था, जो कथित तौर पर संपत्ति विवाद का मामला था. साधु-संतों ने भक्तिनगर पुलिस स्टेशन में एक स्थानीय व्यक्ति और उसके सहयोगियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.
वीएचपी नेता सौरीश मुखर्जी ने कहा, 'वोट बैंक की राजनीति के कारण सीएम ऐसी टिप्पणी कर रही हैं. हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. पश्चिम बंगाल के साधु-संत मुख्यमंत्री की टिप्पणियों के खिलाफ विरोध रैली आयोजित करेंगे.' ममता बनर्जी ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में प्रभावशाली मठों के कुछ संत चुनाव में भाजपा के निर्देश पर काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीएमसी पर वोट बैंक की राजनीति के लिए संतों को धमकाने का आरोप लगाते हुए ममता बनर्जी की टिप्पणियों की आलोचना की. बनर्जी ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि वह कुछ व्यक्तियों की आलोचना कर रही थीं, धार्मिक संस्थानों की नहीं.
ममता बनर्जी ने क्या बयान दिया था?
हुगली के जयरामबाटी में 18 मई को एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने भारत सेवाश्रम संघ की बेलडांगा इकाई के प्रमुख स्वामी प्रदीप्तानंद उर्फ कार्तिक महाराज का जिक्र किया था और कहा था, 'मैं उन्हें साधु नहीं मानती क्योंकि वह सीधे तौर पर राजनीति में शामिल हैं और देश को बर्बाद कर रहे हैं. रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ के कुछ सदस्यों को दिल्ली से निर्देश मिलते हैं. वे दिल्ली के बीजेपी नेताओं के प्रभाव में काम कर रहे हैं.'
स्वामी प्रदीप्तानंद ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान पर उन्हें कानूनी नोटिस भेजकर 48 घंटे के भीतर बिना शर्त माफी मांगने को कहा है. इस मामले के तूल पकड़ने के बाद टीएमसी सुप्रीमो ने 20 मई को बांकुरा जिले के बिष्णुपुर निर्वाचन क्षेत्र में एक सार्वजनिक रैली में अपने बयान पर सफाई दी और कहा, 'मैं रामकृष्ण मिशन के खिलाफ नहीं हूं. मुझे किसी संस्था के खिलाफ क्यों होना चाहिए और अनादर क्यों दिखाना चाहिए? भारत सेवाश्रम संघ लोगों के लिए महान परोपकारी कार्य करता है और वे भी मुझसे प्यार करते हैं.'
उन्होंने आगे कहा, ' जब महाराज (आरकेएम के पूर्व प्रमुख) बीमार थे तो मैंने उनसे मुलाकात भी की थी. मैंने सिर्फ एक या दो लोगों के बारे में बात की है. मैंने केवल एक नाम का जिक्र किया था और वह कार्तिक महाराज हैं. उन्होंने हमारे एजेंटों को मतदान केंद्रों पर जाने से रोका. मुर्शिदाबाद में चुनाव से दो दिन पहले उन्होंने जिले में दंगा भड़का दिया. इसलिए मैंने उनका नाम लिया.' पीएम मोदी ने ममता बनर्जी पर वोट बैंक की राजनीति के लिए आरकेएम और बीएसएस की बुराई करने का आरोप लगाया.
पीएम मोदी ने TMC पर लगाया तुष्टीकरण का आरोप
उन्होंने बांकुरा की एक रैली में अपने भाषण के दौरान ममता बनर्जी के बयान का जिक्र करते हुए कहा, 'यहां की मुख्यमंत्री वोट हासिल करने के लिए कट्टर मुस्लिम संगठनों के दबाव में हमारे महान संस्थाओं और प्रतिष्ठानों को बदनाम कर रही हैं. तृणमूल कांग्रेस बंगाल की विरासत और संस्कृति का अपमान कर रही है. वे बार-बार राम मंदिर (अयोध्या में) के खिलाफ अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करते हैं.' पीएम मोदी ने रैली में आई जनता से पूछा क्या आप टीएमसी की तुष्टीकरण की राजनीति का जवाब अपने वोटों से नहीं देंगे?