2017 में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को हिला देने वाले एक्ट्रेस हमले मामले में सोमवार को अहम फैसला आया. एर्नाकुलम जिला और सत्र अदालत ने अभिनेता दिलीप को सभी आरोपों से बरी कर दिया, जबकि आरोपी नंबर एक से छह को गंभीर धाराओं में दोषी ठहराया गया.
जज हनी एम वर्गीज़ ने सुबह 11 बजे फैसला सुनाया, जिसमें कोर्ट ने माना कि मुख्य आरोपी पल्सर सुनी और उसके साथी भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश, अपहरण, शील भंग करने के लिए हमला, कपड़े उतारने की कोशिश और गैंगरेप शामिल हैं.
यह मामला 17 फरवरी 2017 का है, जब कोच्चि में एक लोकप्रिय मलयालम अभिनेत्री का अपहरण कर कार के भीतर लगभग दो घंटे तक कथित यौन उत्पीड़न किया गया था. घटना की जांच की गई और अप्रैल 2017 में पहली चार्जशीट दायर की गई.
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अभिनेता दिलीप, जो आरोपी नंबर 8 थे, जुलाई 2017 में गिरफ्तार किए गए थे. पुलिस का आरोप था कि मुख्य आरोपी पल्सर सुनी ने जेल से दिलीप को एक पत्र भेजा था. दिलीप को अक्टूबर 2017 में जमानत मिल गई.
एक्टर ने 2018 में सीबीआई जांच की मांग की थी
मामले के दौरान कई मोड़ आए. कुछ आरोपियों को डिस्चार्ज किया गया, तो कुछ सरकारी गवाह बन गए. दिलीप ने 2018 में CBI जांच की मांग की, लेकिन अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि आरोपी को जांच एजेंसी चुनने का अधिकार नहीं है.
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2021 में मामला और पेचीदा हुआ जब निर्देशक बालचंद्र कुमार ने दावा किया कि दिलीप के पास हमले के वीडियो थे. इस आरोप के बाद और जांच का आदेश दिया गया और नए मुकदमे भी दर्ज किए गए.
दो गवाहों की मौत हो गई
ट्रायल में 261 गवाहों की गवाही हुई, जिनमें कई फिल्मी हस्तियां भी शामिल थीं. मामले से संबंधित 834 दस्तावेज अदालत में पेश किए गए. जांच अधिकारी की जिरह ही 109 दिनों तक चली. इस दौरान दो महत्वपूर्ण गवाह पूर्व विधायक पीटी थॉमस और निर्देशक बालचंद्र कुमार का निधन हो गया. मामले में जिन लोगों को दोषी पाया गया है उनकी सजा का ऐलान 12 दिसंबर को होगा.
कोर्ट के फैसले पर क्या बोले एक्टर दिलीप?
मलयालम एक्टर दिलीप ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि उनके खिलाफ 9 साल तक चलाई गई साजिश आखिरकार बेनकाब हो गई है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह साजिश तब शुरू हुई जब उनकी पूर्व पत्नी मंजीू वारियर ने “क्रिमिनल कांस्पिरेसी” की बात उठाई. दिलीप के अनुसार, इसके बाद एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और उनकी टीम ने जेल में आरोपियों को मिलाकर एक झूठी कहानी गढ़ी और मीडिया के जरिए फैलाया. उन्होंने कहा कि पुलिस की यह कहानी कोर्ट में टिक नहीं सकी और उनका उद्देश्य उनकी छवि खराब करना था.