प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में स्पेशल कोर्ट, रायपुर में छठी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है. जांच में सामने आया है कि एक ताकतवर शराब सिंडिकेट ने वरिष्ठ आबकारी अधिकारियों और कारोबारियों की मदद से लाइसेंस और बिक्री में धांधली की. विदेशी शराब कंपनियों को कमीशन देने के लिए इन्हें जबरन कार्टेल व्यवस्था में शामिल किया गया.
ईडी की जांच में पता चला है कि तीन कंपनियों को अवैध तरीके से लाइसेंस जारी किए गए. इनमें Nexogen Power Infratech Pvt. Ltd. जो संजय मिश्रा और उनके सहयोगियों से जुड़ी है और Dishita Ventures Pvt. Ltd. शामिल हैं, जिसे शराब कारोबारी आशीष सोनी केडिया से जोड़ा गया है.
इन कंपनियों ने अवैध मुनाफा कमाया. केवल संजय मिश्रा की कंपनी ने तीन साल में करीब 11 करोड़ रुपये की कमाई की. इस पूरे घोटाले से राज्य सरकार को लगभग 248 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. ईडी की चार्जशीट में कई बड़े नाम सामने आए हैं, जिनमें विजय कुमार भाटिया और अन्य सिंडिकेट सदस्य शामिल हैं. घोटाले से जुड़े कई आरोपीसंजय मिश्रा, मनीष मिश्रा और अभिषेक सिंह पहले ही गिरफ्तार होकर जेल में हैं. एजेंसी का कहना है कि बाकी लाइसेंस धारकों और जुड़े लोगों के खिलाफ भी जल्द आगे की कार्रवाई और अभियोजन जारी रहेगा.
ईडी की जांच में सामने आया है कि शराब घोटाले के जरिए न सिर्फ सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया, बल्कि लाइसेंस और कमीशन की बंदरबांट कर कारोबारी हित साधे गए. अधिकारियों और कारोबारी गठजोड़ के कारण विदेशी शराब कंपनियों पर दबाव बनाया गया कि वे अपना माल बेचने के लिए तय कमीशन दें.
जांच एजेंसी का कहना है कि यह पूरा नेटवर्क बेहद सुनियोजित तरीके से चलाया जा रहा था और इससे मिली रकम को कई कंपनियों और फ्रंट फर्म्स के जरिए घुमाया जाता था. ईडी ने साफ किया है कि इस घोटाले की जांच अभी जारी है और इसमें और बड़े खुलासे हो सकते हैं.