सेडिशन क़ानून मर्ज़ी या मज़बूरी?
8 महीने पहले दिल्ली के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बात कही थी. मौक़ा था इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति के उद्घाटन का. प्रधानमंत्री अंग्रेज़ों के जमाने के क़ानून की बात कर रहे थे. लेकिन डेढ़ सौ साल पुराना एक क़ानून है जो आज भी देश के क़ानून की क़िताब में कुंडली मारकर बैठा हुआ है. बात सेडिशन लॉ की हो रही है. हिंदी में राजद्रोह कहते हैं. राजद्रोह का ये जो कानून है, वो सरकार-विरोधी सामग्री लिखने, बोलने या समर्थन करने पर लग सकता है. इसके अलावा भी कुछ और स्थितियां भी हैं जब किसी के ऊपर यह लग सकता है. और एक बार जो लग गया तो ज़मानत नहीं मिलती. इसमें सज़ा तीन साल से लेकर उम्रक़ैद तक की हो सकती है.
लेकिन क़ानूनी दुनिया के बहुत सारे लोग काफ़ी वक़्त से सेडिशन लॉ को ख़त्म करने की मांग करते रहे हैं. उनका कहना है कि सरकारें राजनीतिक विरोधियों को ठंडा करने के लिए इसका दुरुपयोग करती हैं. इस क़ानून के ख़ात्मे की मांगें याचिकाओं की शक्ल में पहले ही सुप्रीम कोर्ट में दर्ज हैं. पिछले साल इस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट की एक टिप्पणी बड़ी चर्चा में आई थी. कोर्ट ने कहा था कि ये ऐसा है जैसे लकड़ी काटने वाले को एक आरी दी गई और वो उससे पूरा जंगल काटने लग गया. पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह के तहत नए मामले दर्ज करने पर रोक लगा दी थी और केंद्र सरकार से इसपर फिर से विचार करने को कहा था. तमाम विरोधों के बाद केंद्र सरकार इस क़ानून की समीक्षा के लिए तैयार हो गई और कल लॉ कमीशन ने सरकार को इस मसले पर अपने सुझाव सौंप दिए. सुनिए 'दिन भर' है
आरोप संगीन, गिरफ़्तारी कब?
सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद दिल्ली पुलिस ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ FIR दर्ज की गई थी. दिल्ली पुलिस ने 28 अप्रैल को दो अलग अलग एफआईआर दर्ज की. इन दोनों की कॉपी सामने आ गई है. इसमें बीजेपी सांसद के ख़िलाफ़ छेड़छाड़, बैड टच समेत 10 आरोप लगाए गए हैं. महिला पहलवानों ने यौन शोषण की 15 घटनाओं की जानकारी पुलिस को दी है. इनमें से 10 वाकयों पर रेसलर्स को गलत तरीके से छुआ गया. कम से कम दो बार प्रफेशनल मदद के बदले 'सेक्सुअल फेवर' मांगे जाने का भी जिक्र है. दोनों FIRs में IPC की धाराएं- 354, 354A, 354D और 34 लगाई गई हैं. इसके अलावा उनके खिलाफ POCSO एक्ट भी लगाया गया है. तो क्या ये आरोप और धाराएं उनकी गिरफ़्तारी के लिए काफ़ी नहीं हैं? किसी आम आदमी के ऊपर ये आरोप लगते तो पुलिस का क्या एक्शन होता है, सुनिए 'दिन भर' है
बीजेपी से दूर जा रहा मुंडे परिवार?
बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह पर लग रहे आरोपों पर टॉप लीडरशिप से लेकर पार्टी के दूसरे नेताओं का रिस्पांस लगभग एक सा रहा है. जांच चल रही है, क़ानून अपना काम कर रहा है, संवेदनशील मामला है, वगैरह वगैरह. लेकिन बीजेपी की ही एक महिला सांसद ने इस मुद्दे पर पार्टी के रुख से अलग लाइन अख्तियार की है. नाम है - प्रीतम मुंडे. उन्होंने कहा कि, 'भले ही मैं इस सरकार का हिस्सा हूं, लेकिन हमें यह स्वीकार करना होगा कि जिस तरह से पहलवानों के साथ संवाद करना चाहिए था, वैसा नहीं हुआ. मेरा मानना है कि अगर इस स्तर के आंदोलन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है तो यह उचित नहीं है.' प्रीतम मुंडे बीजेपी के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं. दो दिन पहले अहिल्याबाई होल्कर की जयंती पर दिल्ली में हो रहे एक प्रोग्राम में उनकी बहन पंकजा मुंडे ने भी कहा कि मैं भाजपा की हूं, लेकिन भाजपा मेरी थोड़ी है. तो महाराष्ट्र में बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाने वाले गोपीनाथ मुंडे की सियासी विरासत को आगे बढ़ा रही इन दोनों बहनों के सियासी मिजाज पार्टी से अलग क्यों दिख रहे हैं और अभी पार्टी के साथ इनके संबंध कैसे हैं? सुनिए 'दिन भर' है