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छत्तीसगढ़ धर्मांतरण केस: केरल की दो ननों को मिली जमानत, 50-50 हजार का बॉन्ड भरने का आदेश

छत्तीसगढ़ के चर्चित धर्मांतरण और मानव तस्करी केस में दो ननों को ज़मानत मिल गई है. बिलासपुर की एनआईए कोर्ट ने 50-50 हजार के मुचलके पर रिहा किया है. कोर्ट ने उनका पासपोर्ट और वीजा जब्त करते हुए विदेश जाने पर रोक लगाई है.

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छत्तीसगढ़ धर्मांतरण और मानव तस्करी केस में केरल की दो ननों को कोर्ट से मिली सशर्त जमानत (Photo: ITG)
छत्तीसगढ़ धर्मांतरण और मानव तस्करी केस में केरल की दो ननों को कोर्ट से मिली सशर्त जमानत (Photo: ITG)

Kerala Nuns get bail: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित धर्मांतरण और मानव तस्करी के केस में नन प्रीति मेरी, वंदना फ्रांसिस और सुखमन मंडावी को अंततः जमानत मिल गई है. यह जमानत बिलासपुर स्थित विशेष एनआईए कोर्ट ने शर्तों के साथ दी है. कोर्ट ने तीनों से 50-50 हजार रुपये का बॉन्ड भरवाया है और उनका पासपोर्ट तथा वीजा जब्त कर लिया गया है. कोर्ट की अनुमति के बिना अब ये देश से बाहर नहीं जा सकेंगे.

क्या था पूरा मामला?

25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल की शिकायत पर आरपीएफ ने तीनों आरोपियों को हिरासत में लिया था. आरोप था कि ये तीनों नारायणपुर की लड़कियों को बहला-फुसलाकर ईसाई धर्म में जबरन धर्मांतरण कराने के लिए ले जा रहे थे. मामला बेहद गंभीर माना गया, और पहले इसे दुर्ग के सेशन कोर्ट में पेश किया गया, लेकिन कोर्ट ने अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया. इसके बाद यह केस एनआईए की विशेष अदालत में गया, जहां से अब तीनों को ज़मानत मिली है.

कोर्ट ने ज़मानत क्यों दी?

बिलासपुर स्थित विशेष एनआईए कोर्ट ने माना कि तीनों का इससे पहले किसी भी प्रकार की आपराधिक गतिविधियों से कोई संबंध नहीं रहा है. इसके अलावा इस केस में कोई ऐसा ठोस सबूत नहीं मिला जिससे जबरन धर्मांतरण साबित हो सके. कोर्ट ने यह भी माना कि केस में जिन महिलाओं को लेकर आरोप लगाए गए, उनके माता-पिता ने स्पष्ट रूप से बयान दिया कि वे पहले से ईसाई धर्म का पालन कर रहे हैं और अपनी बेटियों को काम के लिए भेजा था.

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बचाव पक्ष के तर्क

बचाव पक्ष के वकील अमृतो दास ने दलील दी कि दोनों नन समाजसेवा के कार्य में लगी थीं और उनका आपराधिक इतिहास नहीं है. इसके अलावा जिन तीन महिलाओं को साथ ले जाया जा रहा था, उन्होंने खुद यात्रा करने की इच्छा जताई थी. न ही कोई बल प्रयोग हुआ, न कोई ज़बरदस्ती की गई. अदालत में महिलाओं के माता-पिता का लिखित बयान भी पेश किया गया जिसमें साफ कहा गया कि वे पहले से ईसाई हैं और अपनी बेटियों को अपनी मर्जी से भेज रहे हैं. इस आधार पर कोर्ट ने ज़मानत मंज़ूर की.

यह भी पढ़ें: 'द केरल स्टोरी' को मिला नेशनल अवॉर्ड, नाराज हुए केरल के मुख्यमंत्री, बोले- झूठ पर बनी है फिल्म

कांग्रेस विधायक अटल श्रीवास्तव का बयान

इस पूरे मुद्दे पर कांग्रेस विधायक अटल श्रीवास्तव ने भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है, लेकिन बीजेपी इस तरह के मामलों को तूल देकर धार्मिक उन्माद फैलाने का प्रयास करती है. उन्होंने यह भी कहा कि जिन्हें समाजसेवा में लगे रहना चाहिए, उन्हें परेशान किया जा रहा है और यह सरासर राजनीतिक बदले की भावना है.

हिंदूवादी नेता ज्योति शर्मा की भूमिका पर सवाल

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घटना के समय मौके पर मौजूद हिंदूवादी नेता ज्योति शर्मा और उनके साथियों ने तीनों पर धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए दुर्व्यवहार किया और पुलिस को सौंप दिया. इस घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए हैं. अब कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि ज्योति शर्मा कौन हैं और किस अधिकार से उन्होंने ये कृत्य किया? अटल श्रीवास्तव ने तंज कसते हुए कहा कि इस तरह के व्यवहार भारतीय जनता पार्टी के लोग ही कर सकते हैं.

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