scorecardresearch
 

पहले काली के पोस्टर पर विवाद, अब काली की अवधारणा पर सेमिनार से बवाल

विश्व भारती विश्विद्यालय ने काली की अवधारणा पर सेमिनार बुलाया है. बंगाल की राजनीति में ये विवाद का नए विषय बन गया है. इससे पहले महुआ मोइत्रा के बयान पर भी जमकर बवाल काटा गया था.

Advertisement
X
काली के पोस्टर पर विवाद
काली के पोस्टर पर विवाद

फिल्ममेकर लीना मणिमेकलाई के काली पोस्टर को लेकर देश में जमकर बवाल देखने को मिला था. उसके बाद टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा के विवादित बयान ने भी आग में घी डालने काम किया. अब एक बार फिर काली विवाद की वजह से पश्चिम बंगाल की राजनीति उबाल मार रही है.

काली विवाद के बीच अब विश्व भारती विश्विद्यालय ने काली की अवधारणा पर सेमिनार बुलाया. ब्रह्म उपासना के पीठस्थान विश्व भारती विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले इस सेमिनार पर विवाद छिड़ गया है. 25 जुलाई को विश्व भारती लाइब्रेरी में इस सेमिनार का आयोजन किया गया है. मुख्य वक्ता के तौर पर रामकृष्ण आश्रम के शारद आत्मानंद को काली की अवधारणा पर विचार रखने के लिए बुलाया गया है. 

विश्व भारती के उपाचार्य विद्युत चक्रवर्ती भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे. कार्यक्रम की बात सामने आते ही सोशल मीडिया में विश्विद्यालय के पूर्व छात्र और शिक्षक इसके खिलाफ मुखर होने लगे हैं. सिर्फ यही नहीं, विश्व भारती शिक्षक संगठन भी काली पर सेमिनार के खिलाफ है. रविंद्रनाथ ठाकुर के वंशज सुप्रिय ठाकुर भी इसके विरोध में उतर आए हैं.

इनका कहना है कि रविंद्रनाथ ठाकुर के पिता महर्षि देवेंद्रनाथ ठाकुर ने निर्विकार ब्रह्म की उपासना के लिए शांतिनिकेतन आश्रम की प्रतिष्ठा की थी. वह ब्रह्म समाज में यकीन रखते थे और गुरुदेव रवींद्रनाथ ने उसी धारा को कायम रखते हुए विश्व भारती की स्थापना की. आज भी हर बुधवार और विशेष दिनों में यहां ब्रह्म की उपासना होती है. ऐसे में विश्व भारती विश्विद्यालय के उपाचार्य विद्युत चक्रवर्ती के खिलाफ काफी लोग काली विवाद पर लामबंद होने लगे हैं. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के काली पर दिए बयान के बाद से ही बंगाल में राजनीति गर्म है. ऐसे में काली की अवधारणा पर सेमिनार ने इस विवाद में घी डालने का काम कर दिया है.

Advertisement

Advertisement
Advertisement