विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के उस फैसले का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के संयुक्त बयान (आउटकम डॉक्यूमेंट) पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. जयशंकर ने साफ कहा कि जब दस्तावेज़ में आतंकवाद का ज़िक्र नहीं होगा, तो भारत उसे स्वीकार नहीं करेगा.
जयशंकर ने पाकिस्तान का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि भारत SCI दस्तावेज में आतंकवाद का जिक्र चाहता था, लेकिन यह "एक देश" को स्वीकार्य नहीं था.
जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि SCO की स्थापना का उद्देश्य ही आतंकवाद से लड़ना था. जब राजनाथ सिंह SCO की रक्षा मंत्रियों की बैठक में गए और अंतिम दस्तावेज़ पर चर्चा हुई, तो एक देश- आप अनुमान लगा सकते हैं कौन सा देश था, उस देश ने कहा कि 'नहीं नहीं, हम इसका जिक्र नहीं चाहते'.
उन्होंने आगे कहा कि जब संगठन का मूल उद्देश्य ही आतंकवाद से लड़ना है और आप उसमें उसका ज़िक्र नहीं करने दे रहे, तो राजनाथ सिंह का रुख बिल्कुल सही था. SCO सर्वसम्मति से काम करता है. एक देश आतंकवाद का जिक्र नहीं चाहता, इसलिए राजनाथ सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर बयान में आतंकवाद का उल्लेख नहीं है, तो हम इस पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे.
पहलगाम आतंकी हमले को किया गया अनदेखा
राजनाथ सिंह ने दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से इनकार इसलिए भी किया क्योंकि उसमें जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले (जिसमें 26 लोग मारे गए) का कोई ज़िक्र नहीं किया गया. सूत्रों के अनुसार चीन और उसका सदाबहार मित्र पाकिस्तान दोनों ने दस्तावेज़ से आतंकवाद के ज़िक्र को हटाने की कोशिश की और इसकी बजाय बलूचिस्तान का हवाला दिया. जो भारत पर पाकिस्तानी प्रांत में अशांति पैदा करने का आरोप लगाने का एक परोक्ष प्रयास था. जबकि भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि बलूचिस्तान पाकिस्तान का आंतरिक मामला है और भारत इससे कोई संबंध नहीं रखता.
राजनाथ सिंह ने SCO में क्या कहा?
राजनाथ सिंह ने बैठक में स्पष्ट कहा कि आतंकवाद को लेकर कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए और जो देश इसे समर्थन देते हैं, उनका खुलकर विरोध होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और भरोसे की कमी से जुड़ी हैं. इसका मूल कारण कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद है. राजनाथ सिंह ने जोर दिया कि जो देश आतंकवाद को पनाह देते हैं, उसका उपयोग नीति के औज़ार के तौर पर करते हैं, उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे. ऐसे देशों की SCO को आलोचना करने में हिचकिचाना नहीं चाहिए. उन्होंने यह भी आग्रह किया कि SCO देशों को एकजुट होकर निर्णायक कदम उठाने चाहिए, खासकर उन गैर-राज्य और आतंकी संगठनों के खिलाफ जो सामूहिक विनाश के हथियारों (WMDs) तक पहुंच रखते हैं.