जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद उनके बहनोई और वकील प्रवीण बलवाड़ा ने कहा कि धनखड़ ने कभी दबाव नहीं झेला और उनका यह फैसला संभवतः स्वास्थ्य कारणों से लिया गया है. बलवाड़ा की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस समेत विपक्षी दल धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर सवाल उठा रहे हैं.
उन्होंने बताया, 'राजनीतिक दबाव जैसी कोई बात नहीं थी. उन्होंने कभी किसी तरह का दबाव नहीं लिया. मैं उन्हें कॉलेज के दिनों से जानता हूं. मैंने उन्हें कभी दबाव में नहीं देखा.'
'धनखड़ को लो ब्लडप्रेशर की समस्या रही है'
बलवाड़ा ने कहा कि धनखड़ कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे और इसके प्रति अपेक्षाकृत लापरवाह थे. उनके रिश्तेदार ने कहा, 'मार्च में उनका स्टेंट ट्रांसप्लांट हुआ था. उन्हें लगातार लो ब्लडप्रेशर की समस्या रही है.' उन्होंने आगे बताया कि धनखड़ को कई बार चक्कर भी आए थे.
'स्वास्थ्य बेहद जरूरी है'
उन्होंने कहा, 'यह स्पष्ट है कि स्वास्थ्य जरूरी है. काम के प्रति अत्यधिक समर्पित और अपने काम के प्रति अत्यधिक ईमानदार होने के कारण, उन्हें लगा होगा कि स्वास्थ्य और काम दोनों को एक साथ उचित ठहराना मुश्किल हो रहा है.'
'परिवार की इच्छाओं का सम्मान किया'
बलवाड़ा ने कहा कि जब धनखड़ को राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया था, तो वह इसके लिए विशेष रूप से उत्सुक नहीं थे. वकील ने कहा, 'इस बार, मेरा मानना है कि उन्होंने अपने परिवार की इच्छाओं का सम्मान किया है.'
अशोक गहलोत ने धनखड़ के इस्तीफे पर क्या कहा?
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कांग्रेस नेताओं ने धनखड़ के इस्तीफे के आधार पर सवाल उठाया है और आरोप लगाया है कि वह दबाव में काम कर रहे थे. गहलोत ने कहा कि धनखड़ ने इस्तीफे के लिए स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हवाला दिया, लेकिन लोगों को यह सच नहीं लग रहा है.