इज़रायल हमास युद्ध में हर रोज़ कुछ बड़ा हो रहा है, आज इसका पांचवा दिन है. कल कई महत्वपूर्ण बैठकें हुईं. आज अरब लीग देशों की बैठक है. इसमें इराक, जॉर्डन, सउदी अरब, कुवैत, कतर, संयुक्त अरब अमिरात समेत कुल 22 देश हैं. लेकिन दुनिया की नज़रें चीन की ओर हैं, पाचंवें दिन भी उसने इस युद्ध से एक सुरक्षित दूरी बनाए रखी है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने स्वतंत्र फिलिस्तीन की बात ज़रूर कही लेकिन हमास के हमले में मारे गए आम नागरिकों के बारे में कुछ नहीं कहा और उसके बाद से एक लंबी खामोशी ओढ़ रखी है.
चीन के लिए ये ऑकवर्ड पोजिशन बनता जा रहा है, पिछले कुछ सालों में मिडिल ईस्ट के जिओ पॉलिटिक्स में उसका दख़ल लगातार बढ़ रहा था. अपने आर्थिक हितों को साधने के लिए वो कई अहम देशों के साथ लगातार बातचीत कर रहा था, नए प्रोजेक्ट्स शुरू कर रहा था और अब उन्हीं हितों को बचाने के लिए चुप रहने के विकल्प को चुना है. अब जब सब किसी न किसी खेमे के साथ खड़े होते दिख रहे हैं, ऐसे में चीन की तटस्थता सबको खटक रही है और उन्हें रूस-युक्रेन वॉर की याद आ रही है, जिसमें वो खुले तौर पर रूस के पीछे खड़ा है, इस युद्ध से पहले चीन की डिप्लोमेसी मिडिल ईस्ट को लेकर कैसी थी, कब तक ख़ुद को दरकिनार किए रख सकता है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
____________
नवरात्र में योगी मंत्रिमंडल के विस्तार की सुगबुगाहटें चल रही हैं. कहा ये भी जा रहा है कि मंत्रिमंडल का ये विस्तार सामान्य नहीं होगा और इसका दायरा भी छोटा होगा. एनडीए का दोबारा हिस्सा बने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल में जगह मिलना तय माना जा रहा है. वहीं सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए दारा सिंह चौहान को भी मंत्री बनाए जाने की संभावना है.
राजभर के एनडीए और दारा सिंह चौहान के भाजपा में शामिल होने के बाद से ही उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं. हालांकि, घोसी उपचुनाव में मिली हार के बाद उनकी उम्मीदों को एक झटका लगा था और वो बैकफ़ुट पर आ गए थे. लेकिन मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए उन्होंने लखनऊ-दिल्ली एक कर दिया था और भाजपा नेतृत्व से लगातार उनकी बातचीत चल रही थी. इनके अलावा भी क्या मंत्रिमंडल में किसी को शामिल करने की संभावनाए हैं और किन नामों पर चर्चा है, योगी राजभर और दारा सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल करने के पक्ष में नहीं थे, फिर क्या मजबूरी है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
__________
कहते हैं एक इंसान के रसूख की पहचान उसके जूते से की जा सकती है. अब ये बात कितनी सही है या गलत इस बहस में न पड़ते हुए, जूते से जुड़े एक स्टडी की बात करेंगे जो बताती है कि जूता ग़लत हो तो खिलाड़ी का करियर बनने से पहले बिगड़ सकता है. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के एक छात्र सौरभ मिश्रा ने एक रिसर्च की है. जिसमें उन्होंने पाया है कि ग़लत नाप के जूते पहनने मात्र से 25 फीसदी खिलाड़ी 23 की उम्र से पहले अनफ़िट होकर खेल से बाहर हो जाते हैं. प्रोफेसर बीसी कापरी की गाइडेंस में सौरभ ने पांच सालों तक अलग-अलग खेल के खिलाड़ियों पर ये रिसर्च किया है.
सौरभ ने बताया कि जो लोग ज्यादातर खड़े होकर काम करते हैं उन्हें अपने जूतों पर खास ध्यान देना चाहिए. ज़्यादातर बड़ी कंपनियां भारत के ज़रूरत के हिसाब से जूते नहीं बनाती हैं, वो यूके और यूएस के पैरामिटर्स को फ़ॉलो करते हैं. हालांकि अच्छी बात ये है कि इसके लिए चेन्नई में शोध चल रहा है. खिलाड़ियों के करियर पर ग़लत नाप के जूते पहनने से कैसे असर पड़ता है और एक आम इंसान पर ग़लत नाप के जूते पहनने का क्या असर पड़ता है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.