अमेरिका से 104 भारतीयों को गिरफ्तार कर निर्वासित किए जाने और उनके साथ कथित रूप से हुए अमानवीय व्यवहार की खबरें चारों ओर छायी हुई हैं. भारतीयों के हाथों और पैरों में बंधी जंजीरों की तस्वीरें और विडियो की चर्चा हर ओर है. विपक्ष सरकार से सवाल पूछ रहा है और सरकार विपक्ष को कानून और समझौते की याद दिला रही है. इस बीच कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने अमेरिका में भारतीय राजनयिक रहीं देवयानी खोबरागड़े के मामले को याद कर सरकार के कदम और रवैये पर सवाल उठाया है.
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पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया साइट X पर लिखा, 'अमेरिका से भारतीयों को हथकड़ी लगाकर और अपमानित करके निर्वासित किए जाने की तस्वीरें देखकर, एक भारतीय होने के नाते मुझे दुख होता है. मुझे दिसंबर 2013 की वह घटना याद है जब भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को अमेरिका में हथकड़ी लगाई गई थी और स्ट्रिप सर्च किया गया था.' इसके बाद खेड़ा उस समय की UPA सरकार द्वारा अमेरिका के खिलाफ उठाए गए सख्त कदम को याद करते हैं और मौजूदा सरकार से सवाल पूछते हैं.
आइये समझते हैं क्या था देवयानी खोबरागड़े का मामला? अमेरिका में उनकी गिरफ्तारी क्यों हुई थी? और, इसके बाद भारत ने क्या रूख अपनाया था.
भारतीयों के साथ अमेरिका में हो रहे खराब व्यवहार का ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी अमेरिका में भारतीय नागरिकों और राजनयिकों के साथ अनुचित व्यवहार की घटनाएं होती रही हैं. दिसंबर 2013 में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी ऐसा ही एक मामला था, जिसने दोनों देशों के रिश्तों में तनाव पैदा कर दिया था.
देवयानी खोबरागड़े भारतीय विदेश सेवा (IFS) की अधिकारी हैं और 2013 में वे न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास (Consulate General of India) में डिप्टी काउंसल जनरल के पद पर तैनात थीं. उनकी गिरफ्तारी अमेरिका की इमिग्रेशन और कस्टम्स इंफोर्समेंट (ICE) एजेंसी ने की थी. अमेरिका का आरोप था कि उन्होंने अपनी घरेलू सहायक संगीता रिचर्ड के वीजा दस्तावेजों में हेरफेर की और उसे न्यूनतम वेतन से कम भुगतान किया.
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अमेरिकी प्रशासन का दावा था कि देवयानी खोबरागड़े ने संगीता को 4500 डॉलर प्रति माह वेतन देने की बात कही थी, लेकिन असल में उसे इससे कहीं कम भुगतान किया जा रहा था. यह आरोप लगने के बाद न्यूयॉर्क पुलिस ने 12 दिसंबर 2013 को देवयानी को गिरफ्तार कर लिया.
कैसे हुआ था देवयानी खोबरागड़े के साथ व्यवहार?
देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी किसी आम अपराधी की तरह की गई थी. उन्हें सार्वजनिक रूप से हथकड़ी पहनाई गई और फिर थाने ले जाकर तलाशी (Strip Search) ली गई. इस प्रक्रिया में उनके कपड़े उतरवाकर जांच की गई, जो राजनयिक शिष्टाचार के पूरी तरह खिलाफ था. इतना ही नहीं, उन्हें डीएनए स्वैब टेस्ट के लिए भी बाध्य किया गया और कुछ समय के लिए आपराधिक कैदियों के साथ रखा गया.
इस खबर के सामने आते ही पूरे भारत में जबरदस्त आक्रोश फैल गया था. भारत सरकार, विपक्ष, राजनयिकों और आम जनता ने इस कार्रवाई को भारतीय गरिमा का अपमान बताया और अमेरिका से तुरंत सफाई की मांग की.
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देवयानी को अपनी घरेलू सहायिका संगीता रिचर्ड के वीजा आवेदन में गलत तथ्य देने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन्हें ढाई लाख डॉलर के मुचलके पर जमानत मिली थी. इस मामले पर भारत की सख्त प्रतिक्रिया से अमेरिकी अधिकारी पूरी तरह से हिल गए थे और उन्हें इसका यकीन नहीं हो रहा था.
खासकर वे अधिकारी ज्यादा हैरान थे, जो विदेश नीति मामले देखते थे, क्योंकि नई दिल्ली से ऐसी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं की गई थी. भारत-अमेरिका संबंधों के प्रभारी अमेरिकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और सांसद यह कह रहे थे कि इस मामले पर आगे बढ़ने से पहले इस गिरफ्तारी के ‘गुण और दोष’ के बारे में गंभीरता से नहीं सोचा गया था.
अमेरिकी प्रशासन के एक अधिकारी ने तब कहा था कि, 'हमें महसूस हुआ है. हमें परिणाम भुगतना होगा.' भारत ने जोर देते हुए कहा था कि इस तरह की गिरफ्तारी न सिर्फ विएना कनवेंशन का उल्लंघन है, बल्कि भारत-अमेरिका संबंध की उस भावना के खिलाफ है जिसके लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा पिछले पांच सालों से प्रयासरत हैं.
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
भारत ने देवयानी खोबरागड़े के साथ हुए इस दुर्व्यवहार को गंभीर राजनयिक उल्लंघन करार दिया और अमेरिका के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए. तत्कालीन विदेश सचिव सुजाता सिंह ने भारत में अमेरिकी राजदूत नैन्सी पॉवेल को तलब कर आधिकारिक विरोध पत्र सौंपा.
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तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इस घटना को निंदनीय बताया था. संसद में भी इस मुद्दे पर जमकर बहस हुई और भारत सरकार से अमेरिका के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई.
सरकार ने अमेरिकी दूतावास को दी जाने वाली कई सुविधाएं वापस ले लीं, जिनमें अमेरिकी राजनयिकों को मिल रहे विशेष एयरपोर्ट पास, अमेरिकी दूतावास कर्मियों के लिए ड्यूटी-फ्री शराब और अन्य उत्पादों की सुविधा, और अमेरिकी राजनयिकों के लिए विशेष प्रवेश कार्ड शामिल थीं.
इसके अलावा, भारत सरकार ने अमेरिकी दूतावास के स्कूल की आयकर जांच भी शुरू कर दी, जिससे अमेरिकी प्रशासन को कड़ा संदेश जाए.
अमेरिका ने कैसे दी सफाई?
भारत की सख्त प्रतिक्रिया के बाद अमेरिका को सफाई देने पर मजबूर होना पड़ा. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने इस घटना पर अफसोस जताया और कहा कि अमेरिका का इरादा किसी भारतीय राजनयिक का अपमान करना नहीं था.
तब अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी द्वारा गिरफ्तारी पर खेद जताये जाने के एक दिन बाद उनके तत्कालीन समकक्ष सलमान खुर्शीद ने सार्वजनिक तौर पर यह मांग की थी कि देवयानी के खिलाफ मामला वापस लिया जाए. खुर्शीद ने कहा था, ‘इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए... काफी प्रयासों के बाद हमारे संबंध बने हैं... और हमें इससे संवेदनशील तरीके से निपटना होगा.’
इस मामले में तब राजनीतिक गतिविधियां काफी तेज हो गयी थी. कैरी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से फोन पर बातचीत की थी जबकि अमेरिका की राजनीतिक मामलों की विदेश उप मंत्री वेंडी शर्मन ने विदेश सचिव सुजाता सिंह से करीब 40 मिनट तक बातचीत की थी. इसके अलावा, अमेरिकी प्रशासन ने विदेश सचिव सुजाता सिंह को फोन कर आधिकारिक रूप से खेद प्रकट किया और मामले को जल्द से जल्द सुलझाने का आश्वासन दिया.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को भी घटना की जानकारी दी गयी. इसके बाद व्हाइट हाउस ने गिरफ्तारी को ‘कभी कभार होने वाली घटना’ करार दिया था और उम्मीद जतायी थी कि इससे द्विपक्षीय संबंधों पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा.
बाद में देवयानी खोबरागड़े को राजनयिक छूट (Diplomatic Immunity) का लाभ देकर भारत वापस भेज दिया गया. इसके साथ ही उन्हें भारतीय विदेश मंत्रालय में नई जिम्मेदारी दी गई.
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इस घटना का असर और मौजूदा संदर्भ
देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी और उसके बाद भारत की तीखी प्रतिक्रिया ने यह स्पष्ट कर दिया कि राजनयिक सम्मान से कोई समझौता नहीं किया जा सकता. इस मामले ने दोनों देशों के रिश्तों को तनावपूर्ण बना दिया था, हालांकि बाद में राजनयिक प्रयासों से संबंधों में सुधार हुआ.
आज जब अमेरिका से 104 भारतीयों को डिपोर्ट किया गया और उनके साथ कथित रूप से अमानवीय व्यवहार किया गया, तो यह घटना एक बार फिर चर्चा में आ गई है. विपक्ष खासकर कांग्रेस इसका उदाहरण देकर मोदी सरकार को अमेरिका को ऐसे ही सख्त संदेश देने की मांग कर रही है.