अमेरिका से भारत लाए गए 104 भारतीयों के मुद्दे पर विदेश मंत्री जयशंकर ने संसद को संबोधित करते हुए कहा कि अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करने का मामला कोई नया नहीं है. अमेरिकी नियमों के तहत ही भारतीयों को भेजा गया है.
विदेश मत्री जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि डिपोर्टेशन का नियम कोई नया नहीं है. यह कई सालों से ऐसा ही है. 2012 से ही ये नियम लागू हैं. हर देश में लोगों की राष्ट्रीयता की जांच होती है.
उन्होंने कहा कि अवैध इमिग्रेशन पर अमेरिका ऐसे ही कार्रवाई करता है. पहले भी इस तरह से ही अमेरिका से लोग वापस भेजे गए हैं. अवैध इमिग्रेशन पर अमेरिका ने यह कार्रवाई की है. वापसी की यह प्रक्रिया कोई नई प्रक्रिया नहीं है.
जयशंकर ने डिपोर्टेशन पर संयुक्त राष्ट्र की संधि का जिक्र करते हुए कहा कि ये लीगल माइग्रेशन को सपोर्ट करने और अवैध माइग्रेशन को हतोत्साहित करने लिए है. अवैध प्रवासी वहां अमानवीय हालात में फंसे थे. अवैध अप्रवासियों को वापस लेना ही था. हम डिपोर्टेशन के मामले पर लगातार अमेरिकी सरकार के संपर्क में हैं ताकि भारतीयों के साथ किसी तरह का अमानवीय बर्ताव नहीं हो सके.

उन्होंने कहा कि डिपोर्टेशन कोई नया नहीं है. विदेश मंत्री ने 2009 से अब तक के आंकड़े भी गिनाए और कहा कि हर साल अवैध अप्रवासियों को वापस भेजा जाता है. जयशंकर ने कहा कि 2009 में 734 भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया था. 2010 में 799, 2011 में 597, 2012 में 530, 2013 में 515, 2014 में 591, 2015 में 708, 2016 में 1303, 2017 में 1024, 2018 में 1180, 2019 में 2042, 2020 में 1889, 2021 में 805, 2022 में 862 , 2023 में 617 और 2024 में 1368 अवैध भारतीयों को अमेरिका ने भारत डिपोर्ट किया था.
उन्होंने कहा कि अमेरिका डिपोर्टेशन का काम अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) विभाग के तहत करता है. इसके लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर 2012 से ही प्रभावी है. लीगल मॉबिलिटी को बढ़ावा देना और अवैध रूप से विदेश जाने को रोकना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है.