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'मध्यावधि चुनाव की स्थिति में मिली-जुली अंतरिम सरकार...', अपनी रिपोर्ट में सिफारिश करेगा विधि आयोग

विधि आयोग जो सिफारिश अपनी रिपोर्ट में करने जा रहा है, उसमें यह कहा गया है कि अगर कोई सरकार अविश्वास प्रस्ताव पास होने के कारण गिर जाती है या आम चुनाव में सदन त्रिशंकु जनादेश आता है तो ऐसी स्थिति में विभिन्न राजनीतिक दल मिली-जुली साझा सरकार के गठन पर विचार करें.

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विधि आयोग संवैधानिक संकट की स्थिति में राजनीतिक स्थिरता के लिए ​साझा सरकार चलाने की सिफारिश अपनी रिपोर्ट में करेगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
विधि आयोग संवैधानिक संकट की स्थिति में राजनीतिक स्थिरता के लिए ​साझा सरकार चलाने की सिफारिश अपनी रिपोर्ट में करेगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

विधि आयोग अपनी आगामी रिपोर्ट में भविष्य में लोकसभा या विधानसभाओं में कार्यकाल के बीच संवैधानिक संकट उत्पन्न होने की दशा में मिली-जुली अंतरिम सरकार के जरिए बाकी कार्यकाल पूरा कराने की सिफारिश करने जा रहा है. आयोग अपनी रिपोर्ट में अगले पांच वर्षों यानी 2029 तक सभी राज्यों की विधानसभाओं के कार्यकाल को एक साथ करने की भी सिफारिश करेगा. 

सूत्रों के मुताबिक विधि आयोग संविधान में संशोधन कर एक नया अध्याय जोड़ने की भी सिफारिश करने जा रहा है. यह सिफारिश इस बारे में होगी कि ‘एक साथ चुनाव’, सरकारों की स्थिरता, सरकार गिरने या मध्यावधि चुनाव की स्थिति आने पर मिली-जुली अंतरिम सरकार का गठन कर राजकाज चलाने की संवैधानिक व्यवस्था की जा सके. इसके साथ ही एक साथ चुनावों की स्थिरता और लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, स्थानीय निकायों यानी पंचायतों और नगरपालिकाओं के लिए एक मतदाता सूची से संबंधित मुद्दे भी सुलझाए जाएंगे.

लॉ कमीशन अपनी​ रिपोर्ट में देश भर में त्रि-स्तरीय चुनाव यानी लोकसभा, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों व पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश भी करेगा. विधि आयोग जो सिफारिश अपनी रिपोर्ट में करने जा रहा है, उसमें यह कहा गया है कि अगर कोई सरकार अविश्वास प्रस्ताव पास होने के कारण गिर जाती है या आम चुनाव में सदन त्रिशंकु जनादेश आता है तो ऐसी स्थिति में विभिन्न राजनीतिक दल मिली-जुली साझा सरकार के गठन पर विचार करें. साझा सरकार का फार्मूला काम नहीं करे, तभी सदन के बचे कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जाएं.

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कार्यकाल पूरा होने में बचे जितने दिन उतने समय के ही चुनाव

उदाहरण के तौर पर, यदि राजनीतिक परिस्थितियों की वजह से संवैधानिक संकट पैदा होता है और फिर से चुनाव कराना अपरिहार्य हो जाता है, और सरकार के तय पांच साल में तीन साल बचे हों, ऐसी स्थिति में राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए शेष तीन साल के लिए अंतरिम साझा सरकार या फिर इतनी ही अवधि के लिए चुनाव कराए जाएं, ऐसी सिफारिश विधि आयोग अपनी रिपोर्ट में करेगा. विधि आयोग के अलावा, 'वन नेशन वन इलेक्शन' पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में भी एक उच्च-स्तरीय समिति काम कर रही है.

कोविंद समिति इन संभावनाओं पर विचार कर रही है कि संविधान और मौजूदा कानूनी ढांचे में बदलाव करके कैसे लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं. इस साल अप्रैल-मई में 18वीं लोकसभा चुनावों के साथ कम से कम पांच विधानसभाओं के चुनाव होने की संभावना है. इस साल के अंत तक जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा के चुनाव भी होने हैं. बिहार और दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.

असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में 2026 में और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और मणिपुर में 2027 में विधानसभा चुनाव संभावित हैं. जबकि 2028 में कम से कम नौ राज्यों- त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, कर्नाटक, मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने का कार्यक्रम है.

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