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'मुझे नेहरू से विरासत में मिला सत्य और साहस', बोले राहुल गांधी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित के साथ पॉडकास्ट स्टाइल में बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने कहा, मेरी दादी मुझे कई कहानियां सुनाईं हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने (नेहरू) हमें राजनीति नहीं, बल्कि डर का सामना करना और सच्चाई के लिए खड़ा होना सिखाया है.

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी. (PTI Photo)
कांग्रेस नेता राहुल गांधी. (PTI Photo)

कांग्रेसी सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को अपनी राजनीतिक जर्नी के पीछे की मंशा (मोटिवेशन) के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि मुझे अपने परदादा और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से प्रेरणा मिलती है, मुझे सच और साहस उनसे विरासत में मिला है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित के साथ पॉडकास्ट स्टाइल में बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने इस बात पर जोर दिया  कि उन्हें सत्ता की नहीं, बल्कि सच्चाई की खोज की प्रेरणा मिलती है और ये खोज मेरे परदादा, देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू से कैसे प्रेरित है. वो सिर्फ एक राजनेता नहीं थे. वह एक साधक, एक विचारक थे, उन्होंने हंसते हुए कई चुनौतियों को स्वीकार किया और इन चुनौतियों से लड़कर मजबूत होकर बाहर निकले. उनकी सबसे बड़ी विरासत सच्चाई के लिए उनके प्रयास है.

'राजनीति नहीं, डर का सामना करना सिखाया'

राहुल ने कहा, 'उन्होंने हमें राजनीति नहीं सिखाई, उन्होंने हमें डर का सामना करना और सच्चाई के लिए खड़ा होना सिखाया. खोज करना, सवाल करना, उत्सुकता की जड़ों से जुड़े रहना-ये सब मेरे खून में हैं.'

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'मेरी दादी ने सुनाईं कहानियां'

राहुल ने बताया, 'मेरी दादी उन्हें पापा कहकर बुलाती थीं. उन्होंने मुझे कहानियां सुनाईं कि कैसे वे अपने पसंदीदा पहाड़ों में से एक ग्लेशियर में गिरते-गिरते बचे, कैसे वह हमेशा हमारे परिवार का हिस्सा रहे, या कैसे वे कभी-भी एक घंटे का एक्सरसाइज करना नहीं छोड़ते थे. मेरी मां अभी-भी बगीचे में पक्षियों को देखती हैं. मैं जूडो करता हूं. ये सिर्फ शौक नहीं हैं, ये हमारी पहचान हैं. हम अपने आस-पास की दुनिया से जुड़े रहते हैं और जो चीज हम सबसे ज्यादा जोड़े रखती है, वो है शांत शक्ति के साथ चुनौतियों का सामना करने की आदत.'

उन्होंने ये भी कहा कि यह सब महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. बीआर अंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल और सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं ने सिखाया कि डर का सामना कैसे किया जाए. महात्मा गांधी ने बिना किसी चीज के ब्रिटिश साम्राज्य का मुकाबला किया. नेहरू ने भारतीयों को उत्पीड़न का विरोध करने और अंततः स्वतंत्रता का दावा करने का साहस दिया. कोई भी महान मानवीय प्रयास- विज्ञान, कला, प्रतिरोध - यह सब भय का सामना करने से शुरू होता है और यदि आप अहिंसा के लिए प्रतिबद्ध हैं तो सच्चाई ही आपका एकमात्र हथियार है. इन सभी महापुरुषों के साथ चाहे  कुछ भी किया गया हो, पर वे पीछे नहीं हटे. यही बात उन्हें महान नेता बनाती है.

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राहुल गांधी ने इस बात पर जोर देते हुए कि सच्चा नेतृत्व साहस, जिज्ञासा और करुणा से पैदा होता है, सत्य के लिए खड़े रहने की अपनी अटूट प्रतिबद्धता की घोषणा की, चाहे इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े", ऐसे युग में जहां, उनके अनुसार, सत्य असुविधाजनक हो गया है.

'मैंने बना लिया है मन'

लोकसभा में विपक्ष के नेता ने जोर देते हुए कहा, 'चाहे मैं बिल गेट्स से बात कर रहा हूं या चेतराम मोची से, मैं उनसे एक ही जिज्ञासा के साथ मिलता हूं. क्योंकि वास्तविक नेतृत्व नियंत्रण के बारे में नहीं है, ये करुणा के बारे में है. और आज के वक्त भारत में, जहां सच्चाई एक असुविधाजनक है. पर मैंने अपना मन बना लिया है, मैं सत्य के लिए खड़ा रहूंगा, चाहे इसके लिए मुझे कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े.'

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