ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन Amphotericin B की मांग पूरे देश में है. हॉस्पिटल में इंजेक्शन की किल्लत है लेकिन कालाबाजारी करने वाले लोग इसी इंजेक्शन को आसानी से बेच रहे हैं. आजतक के स्टिंग ऑपरेशन में कालाबाजारी करने वाले कई चेहरे बेनकाब हुए हैं.
आजतक ने दिल्ली के कई मेडिकल स्टोर्स में खुफिया कैमरों के साथ आपरेशन को अंजाम दिया. शाहीनबाग में फैज मेडिकल स्टोर में भी ऐसे ही धंधे को चलाया जा रहा था. इस मेडिकल स्टोर में जीवन रक्षक इंजेक्शन की कालाबाजारी का खेल चल रहा था. आजतक की स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव टीम जब घटना का पर्दाफाश करने पहुंची तो वहां आमिर नाम के एक धंधेबाज से मुलाकात हुई.
कई राउंड की बातचीत के बाद चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. जिस इंजेक्शन की किल्लत है वही इंजेक्शन, आमिर आसानी से देने को तैयार हो गया लेकिन एवज में मोटी रकम मांगी. सौदा तय करने के लिए आमिर अपने साथ इंजेक्शन की चार शीशियां लेकर दिल्ली के कालिंदीकुज रोड पर आया.
5 हजार के इंजेक्शन की कीमत 20,000 रुपये
सौदेबाज आमिर ने इंजेक्शन को असली बताया और असली इंजेक्शन की रेट लिस्ट भी सार्वजनिक की. उसने कहा कि 5,000 के इंजेक्शन को 20,000 के दाम पर वह बेचेगा. ऐसे इंजेक्शन वह 20 से 25 हर दिन मुहैया करा सकता है.
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जामियानगर में भी ब्लैक मार्केटिंग का धंधा फल फूल रहा है. एंटीफंगल Amphotret-B की दवा की कीमत 300 के करीब है. बाजार से गायब यही दवा धंधेबाज 11,000 रुपये में बेच रहे हैं. पेशे से लैब टेक्नेशियन अखलाक नाम के एक शख्स को भी आजतक ने बेनकाब किया जो दवाइयों की कालाबाजारी कर रहा था.
पंजाब में भी फल-फूल रहा ब्लैक मार्केटिंग का धंधा
वहीं सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी में ही नहीं, बंजाब में भी ब्लैक मार्केटिंग अपने चरम पर है. आजतक ने एक बड़े ड्रग डीलर को कैद किया, जो दिखाने के लिए आयुर्वेदिक दवाइयों का सौदागर है, लेकिन असल में ब्लैक मार्केटिंग में लिप्त है.
आयुर्वेदिक कैमिस्ट शॉप चलाने वाले अरुण अरोड़ा की दुकान पिंड गली लुधियाना में है. अरुण अरोड़ा ने आजतक को Ambisome 50mg इंजेक्शन को यूएस का ब्रांड इंजेक्शन बताते हुए कई गुना महंगे दाम में बेचा. उसने दावा किया कि यह इंजेक्शन 3,563 रुपये में मिलती है लेकिन वह 13,000 में बेचेगा.
देश में ब्लैक फंगस के 30 हजार मरीज
देश में करीब 30 हजार ब्लैक फंगस के मरीज हैं. महामारी में इस जानलेवा बीमारी से लोग मर रहे हैं. इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले अपनी जेब भरने में लगे हैं. समाज के घिनौने लोगों का चेहरा बेनकाब हो, जिससे कम से कम जरूरतमंदों को सही वक्त पर दवाइयां तक नसीब हो सकें.
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