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दिल्ली में बार-बार क्यों आता है भूकंप? एक महीने में तीसरी बार हिली धरती

दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं. केंद्र जरूर अफगानिस्तान में रहा है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में भी धरती तेज हिली है. हालात ऐसे बन गए कि लोग अपने घर-दफ्तर से तुरंत बाहर निकले और पैनिक की स्थिति बन गई. एक महीने में ये तीसरी बार है जब राजधानी और एनसीआर में भूकंप आया हो. 

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दिल्ली-NCR में एक महीने में तीसरी बार भूकंप के झटके
दिल्ली-NCR में एक महीने में तीसरी बार भूकंप के झटके

दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं. केंद्र जरूर अफगानिस्तान में रहा है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में भी धरती तेज हिली है. हालात ऐसे बन गए कि लोग अपने घर-दफ्तर से तुरंत बाहर निकले और पैनिक की स्थिति बन गई. एक महीने में ये तीसरी बार है जब राजधानी और एनसीआर में भूकंप आया हो. 

इस बार केंद्र अफगानिस्तान के फैजाबाद में था. पाकिस्तान के इस्लामाबाद, लाहौर और पेशावर में भी तेज झटके महसूस किए गए. इससे पहले सोमवार को हिमाचल प्रदेश में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. कुछ दिन पहले गुजरात के कच्छ में भी 3.9 तीव्रता का भूकंप आया था. गुजरात में ही 26 और 27 फरवरी को भी भूकंप के दो झटके महसूस किए गये थे, जिसमें से एक की तीव्रता 4.3 और 3.8 थी. इसी तरह पांच मार्च को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 2.5 तीव्रता का भूकंप आया था. इसका केंद्र जमीन के 5 किलोमीटर गहराई में था.

मंगलवार के भूकंप की बात करें तो ये रात को 10 बजकर 17 मिनट पर आया था. इस भूकंप की वजह से जमीन पर जबरदस्त पैनिक था और लोग तुरंत अपने घर-दफ्तर से बाहर निकले. इस भूकंप के इस समय कई वीडियो सामने आए हैं जिनमें लाइटों से लेकर झूमर तक, सबकुछ हिलते दिख रहे हैं. कई सोसाइटी के वीडियो भी सामने आए हैं, जहां पर लोग घबराहट में इधर-उधर भाग रहे हैं. 

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नोएडा सेक्टर 135 की सोसाइटी

दिल्ली में क्यों बड़े भूकंप का खतरा?

अब लोगों में ये पैनिक इसलिए है क्योंकि दिल्ली में बड़े भूकंप का अंदेश लंबे समय से लगाया जा रहा है. जानकार मानते हैं कि राजधानी में बड़ी तीव्रता का भूकंप आ सकता है. असल में दिल्ली भूकंपीय क्षेत्रों के जोन 4 में स्थित है. देश को इस तरह के चार जोन में बांटा गया है. जोन-4 में होने की वजह से दिल्ली भूकंप का एक भी भारी झटका बर्दाश्त नहीं कर सकती. दिल्ली हिमालय के निकट है जो भारत और यूरेशिया जैसी टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलने से बना था. धरती के भीतर की इन प्लेटों में होने वाली हलचल की वजह से दिल्ली, कानपुर और लखनऊ जैसे इलाकों में भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा है.

दिल्ली के पास सोहना, मथुरा और दिल्ली-मुरादाबाद तीन फॉल्ट लाइन मौजूद हैं, जिसके चलते भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. दिल्ली रिज क्षेत्रकम खतरे वाला क्षेत्र है. वहीं मध्यम खतरे वाले क्षेत्र हैं दक्षिण पश्चिम, उत्तर पश्चिम और पश्चिमी इलाका. सबसे ज्यादा खतरे वाले क्षेत्र हैं उत्तर, उत्तर पूर्व, पूर्वी क्षेत्र.

भू-विज्ञान मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में कहा था कि दिल्ली में अगर रिक्टर स्केल पर छह से अधिक तीव्रता का भूकंप आता है तो बड़े पैमाने पर जानमाल की हानि होगी. दिल्ली में आधे से अधिक इमारतें इस तरह के झटके को नहीं झेल पांएगी वहीं घनी आबादी की वजह से बड़ी संख्या में जनहानि हो सकती है. दुर्भाग्य की बात है कि भूकंप के खतरों को देखते हुए भी राजधानी ने सबक नहीं लिया. यहां ना तो उससे बचने के उपाय किए गए और ना ही इमारतों के निर्माण में सावधानी बरती गई है.

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