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Rapid Rail: टेस्टिंग फेज में पहुंचा दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल प्रोजेक्ट, 6 कोच की ट्रेन में ऑटोमेटिक डोर समेत होंगे ये फीचर्स

Rapid Rail Project: दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड रेल चालने का काम जोर-शोर से चल रहा है. सरकार अब तक इस प्रोजेक्ट पर 11,440 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है. इस प्रोजेक्ट के पूरे होने के बाद दिल्ली से मेरठ का सफर कम समय में तय किया जा सकेगा. जानिए प्रोजेक्ट से जुड़ी डिटेल्स.

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Rapid Rail
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देश को जल्द ही रैपिड ट्रेन मिलने वाली है. दिल्ली से मेरठ तक शुरू होने वाली रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के पहले चरण की शुरुआत मार्च 2023 से होने वाली है. सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में RRTS को लेकर हुए सवाल के जवाब में कहा कि 30 नवंबर तक इस प्रोजेक्ट पर 11,440 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. बता दें, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) परियोजना को लागू कर रहा है.

30,274 करोड़ है प्रोजेक्ट की कॉस्ट
आवास और शहरी मामलों के राज्यमंत्री कौशल किशोर ने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर कुल 30,274 करोड़ रुपये खर्च होने वाले हैं. इसमें से 30 नवंबर तक कुल 11,440 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार समेत एशियन डेवलपमेंट बैंक, न्यू डेवलपमेंट बैंक और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक द्वारा फंड किया जा रहा है. 

जानें कब से शुरू होगी रैपिड ट्रेन?
दिल्ली-गाजियाबाद- मेरठ पूरी तरह से 2025 तक ऑपरेशनल होगी. पिछले महीने एनसीआरटीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि 17 किलोमीटर लंबे दुहाई-साहिबाबाद प्राथमिकता खंड के परिचालन के लिए मुख्य लाइन पर परीक्षण दिसंबर में शुरू होगा. हालांकि, इस प्रोजेक्ट की प्राथमिकता खंड में चार स्टेशन हैं - साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर और दुहाई. एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह की मानें तो ये साल 2023 में मार्च तक चालू हो सकते हैं. 

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कम समय में तय होगी दिल्ली-मेरठ की दूरी
दिल्ली-गाजियाबाद- मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के चालू होते ही दिल्ली से मेरठ की दूरी को कम समय में तय किया जा सकेगा. सड़क  से जाने पर जहां लोगों को 3 से 4 घंटे तक लग जाते हैं, वहीं लोग महज 55 मिनट में दिल्ली से मेरठ पहुंच जाएंगे. 

जानें रैपिड रेल के फीचर्स
आरआरटीएस ट्रेन के डिब्बों में बैठने के लिए आमने-सामने 2x2 सीटें होंगी. इसके अलावा, यात्री खड़े होकर भी सफर कर सकेंगे. ऑटोमेटिक प्लग-इन दरवाजों के अलावा रैपिड रेल में जरूरत के आधार पर चुनिंदा दरवाजों को खोलने के लिए पुश बटन होंगे. हर स्टेशन पर सभी दरवाजे खोलने की जरूरत नहीं होगी. इसके एनर्जी की भी बचत होगी.

आरआरटीएस ट्रेनों में विशाल, आरामदायक और झुकी हुई सीटें होंगी. इसके अलावा, हर ट्रेन में एक डिब्बा महिलाओं के लिए रिजर्व्ड रहेगा. प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) लगाए जाएंगे और ट्रेनों के दरवाजों को इस पीएसडी से जोड़ा जाएगा. ऐसा होने से यात्रियों के पटरी पर गिरने जैसी दुर्घटनाओं को पूरी तरह खत्म किया जा सकेगा.
 

ऐसे होंगे रैपिड रेल के कोच
RRTS कॉरिडोर में चलने वाली ट्रेनों में 6 कोच होंगे. जिसमें से पांच स्टैंडर्ड कोच होंगे और एक प्रीमियम कोच होगा. हर एक स्टैंडर्ड कोच में तीन दरवाजे होंगे वहीं, प्रीमियम कोच में दो दरवाजे होंगे. इसके मुताबिक, पूरी ट्रेन में 17 दरवाजे होंगे. वहीं, प्लैटफॉर्म पर 17 स्क्रीन डोर्स होंगे. 

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