दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शराब घोटाले मामले में जेल में बंद हैं. सीबीआई ने इस साल फरवरी में उन्हें गिरफ्तार किया था. वह तभी से जेल में हैं. इस बीच सिसोदिया की पत्नी सीमा की तबियत लगातार खराब होती जा रही है. उन्हें एक बार फिर अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा है.
सीमा सिसोदिया मल्टीपल स्केलेरोसिस से पीड़ित हैं. यह एक तरह की ऑटोइम्यून बीमारी है, जिससे व्यक्ति का सेंट्रल नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है. इस वजह से उनकी तबियत लगातार खराब हो रही है.
डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी की वजह से सीमा सिसोदिया के दिमाग का उनके शरीर से नियंत्रण खत्म हो रहा है. उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अकेले घर पर रहने की वजह से मनीषा की तबियत लगातार खराब हो रही है. उन्हें खराब स्वास्थ्य की वजह से हाल के दिनों में तीन बार अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा है. पति के जेल में होने और बेटे के विदेश में पढ़ाई करने की वजह से वह तनाव में जी रही हैं.
क्या है बीमारी?
49 साल की सीमा सिसोदिया साल 2000 से मल्टीपल स्केलेरोसिस से जूझ रही हैं. उनका इस बीमारी की वजह से 23 सालों से इलाज चल रहा है. इस बीमारी में दिमाग धीरे-धीरे शरीर से नियंत्रण खो देता है. इस बीमारी की वजह से उनकी शरीर की कोशिकाओं पर असर पड़ा है. रीढ़ की हड्डी पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
उनकी इस हालत की वजह से कई तरह की दिक्कतें हो रही हैं. डॉक्टरों का कहना है कि सिसोदिया की शारीरिक कंडीशन की वजह से उन्हें नियमित तौर पर फीजियोथेरेपी और दवाइयों की जरूरत है. उन्हें चलने और बैठने में भी परेशानी हो रही है.
103 बाद बीमार पत्नी से मिले थे सिसोदिया
शराब घोटाले में जेल में बंद मनीष सिसोदिया 103 दिनों बाद पुलिस कस्टडी में बीमारी पत्नी सीमा से मिले थे. पति से मुलाकात के बाद सीमा सिसोदिया ने एक पत्र जारी किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें मनीष पर फक्र है.
सीमा सिसोदिया ने पत्र जारी कर कहा था कि अरविंद केजरीवाल और मनीष के खिलाफ साजिश रचने वाले खुश हो रहे होंगे कि वे अरविंद के सिपाही को जेल में डालने में कामयाब हो गए हैं.
सीमा सिसोदिया ने पत्र में कहा था कि सात घंटे के लिए. वह भी इस तरह पुलिस बेडरूम के दरवाजे पर बैठी है और आपको लगातार देख रही है और आपकी हर बात सुन रही है. शायद इसलिए कहते हैं कि राजनीति गंदी है.
उन्होंने पत्र में कहा था कि जब ये लोग पार्टी बना रहे थे तो उस वक्त बहुत से शुभचिंतकों से सुनने को मिला था कि पत्रकारिता और आंदोलन तक तो ठीक है पर राजनीति के चक्कर में मत पड़ो. यहां पहले से बैठे लोग काम करने नहीं देंगे और परिवार को परेशान करेंगे. लेकिन यह मनीष की जिद थी. उन्होंने अरविंद और अन्य लोगों के साथ मिलकर पार्टी बनाई और काम करके दिखाया. इन लोगो की राजनीति ने बड़े-बड़े लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी की बात करने पर मजबूर किया.