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'मुझे इंसाफ चाहिए...', देहरादून में नस्लीय हिंसा के शिकार युवक के पिता का छलका दर्द

देहरादून में नस्लीय हमले में मारे गए त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा के पिता एक बीएसएफ जवान हैं. उन्होंने आरोपियों के लिए मौत की सज़ा की मांग की है. घटना के बाद नॉर्थ-ईस्ट छात्रों में गुस्सा है, प्रोटेस्ट हो रहे हैं और पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगे हैं.

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देहरादून में नस्लीय हिंसा के शिकार छात्र की 17 दिन बाद मौत हो गई (Image: X/ @NBirenSingh)
देहरादून में नस्लीय हिंसा के शिकार छात्र की 17 दिन बाद मौत हो गई (Image: X/ @NBirenSingh)

उत्तराखंड के देहरादून में कथित नस्लीय हमले में मारे गए त्रिपुरा के स्टूडेंट एंजेल चकमा के दुखी पिता ने इंसाफ के लिए भावुक अपील की है. उन्होंने कहा कि किसी भी माता-पिता के सामने ऐसी मजबूरी नहीं आनी चाहिए कि वो अपना बच्चा इस तरह से खोए. 

इंडिया टुडे से बात करते हुए, बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के जवान तरुण प्रसाद चकमा ने कहा कि आरोपियों को मौत की सज़ा मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा, "मेरा बच्चा चला गया. ऐसा किसी और के साथ नहीं होना चाहिए. हम बहुत दुखी हैं. हमारी बस यही गुजारिश है कि कोई और बच्चा इस तरह से न मरे."

तरुण चकमा ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, यह पहली ऐसी घटना है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस हमले में स्थानीय लोग शामिल थे. 

'मैं माफ कर देता लेकिन...'

दोषियों के लिए कड़ी से कड़ी सज़ा की मांग करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे इंसाफ़ चाहिए. अगर मेरा बच्चा ज़िंदा होता, तो मैं आरोपियों को माफ़ कर देता लेकिन अब, उन सभी को मौत की सज़ा मिलनी चाहिए. उन्हें फांसी दी जानी चाहिए.”

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मृतक के पिता ने नस्लीय दुर्व्यवहार की भी कड़ी निंदा करते हुए कहा, "भारत जैसे विविध देश में यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. भारत के हर कोने से बच्चे पूरे देश में रहते हैं. ऐसी बातें नहीं होनी चाहिए. नस्लीय टिप्पणियों का यह मामला पूरी तरह से गलत है. यह किसी के साथ नहीं होना चाहिए.”

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड: 17 दिन बाद त्रिपुरा के छात्र की मौत, नस्लीय हिंसा के विरोध में आरोपियों ने चाकू से गोदा

नस्लीय टिप्पणी के विरोध के बाद हत्या...

त्रिपुरा के उनाकोटी ज़िले के 24 साल के MBA स्टूडेंट एंजेल चकमा पर 9 दिसंबर को देहरादून में हमला किया गया था, जब उन्होंने अपने छोटे भाई माइकल चकमा पर कथित तौर पर की गई नस्लीय टिप्पणियों का विरोध किया था. पुलिस और परिवार के मुताबिक, हमलावरों ने कथित तौर पर नस्लीय टिप्पणियां कीं, जिसमें भाइयों को 'चीनी' भी कहा गया.

एंजेल को गंभीर हालत में ग्राफिक एरा हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां वह 17 दिनों तक ज़िंदगी और मौत से जूझते रहे और आखिरकार चोटों के कारण उनकी मौत हो गई.

उनकी मौत के बाद, नॉर्थ-ईस्ट के स्टूडेंट्स में गुस्सा फैल गया है, और कई छात्र संगठनों ने इंसाफ की मांग करते हुए कैंडल मार्च और विरोध प्रदर्शन किए हैं. नॉर्थ-ईस्ट के स्टूडेंट ग्रुप्स का कहना है कि यह घटना देश भर में इस क्षेत्र के लोगों द्वारा झेली जा रही नस्लीय दुर्व्यवहार की एक गहरी समस्या को दिखाती है.

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नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल्ड ट्राइब्स ने 23 दिसंबर को उत्तराखंड के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस को पत्र लिखकर इस मामले में पुलिस की लापरवाही का आरोप लगाया. कमीशन के दखल के बाद, पुलिस ने FIR में हत्या की धाराएं जोड़ीं.

यह भी पढ़ें: ब्रिटेन में भारतीय मूल की युवती से ‘नस्लीय आधार पर बलात्कार’, आरोपी गिरफ्तार, जांच जारी

गिरफ्तार किए गए आरोपी...

पुलिस ने मणिपुर के सूरज खवास (22), अविनाश नेगी (25), सुमित (25) को गिरफ्तार किया है और दो नाबालिगों को हिरासत में लिया है, जबकि एक और आरोपी शायद अपने देश नेपाल भाग गया है. उसकी गिरफ्तारी की जानकारी देने वाले को 25 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की गई है.

मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा ने नस्लीय दुर्व्यवहार की निंदा करते हुए कहा, "नस्लवाद को कभी भी सामान्य नहीं माना जाना चाहिए और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को सज़ा मिलनी चाहिए."

देहरादून, त्रिपुरा और देश के अन्य इलाकों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं. वहीं, एंजेल चकमा के पिता ने कहा कि उनकी लड़ाई अब सिर्फ़ उनके बेटे के लिए नहीं, बल्कि हर उस स्टूडेंट के लिए है, जो पढ़ाई के लिए घर छोड़ता है. उन्होंने कहा, "मैंने अपना बच्चा खो दिया है. अब, उसे इंसाफ मिलना चाहिए."

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(तन्मय चक्रवर्ती के इनपुट के साथ)

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