मॉनसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने 130वां संविधान संशोधन विधेयक, 2025 (भ्रष्ट नेताओं हटाओ बिल) पेश किया गया. जिसे लेकर सियासी संग्राम मच हुआ है. इंडिया गठबंधन आरोप लगा रही है कि एनडीए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्षी दलों को निशाना बना सकती है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए कहा, भ्रष्ट नेता हटाओ बिल को बिना किसी सहमति के लाया गया है और इसका मकसद विपक्ष को डराना है. यह बिल अब जॉइंट सेलेक्ट कमेटी के पास है और आगे देखना होगा कि इसका क्या परिणाम निकलता है.
उन्होंने आरोप लगाया कि कई विपक्षी नेताओं को ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग की कार्रवाई के ज़रिए झूठे मामलों में फंसाया गया है.
खड़गे ने सवाल उठाया कि भारतीय दंड संहिता (IPC) और सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) किसलिए बने हैं? क्या पिछले 75 सालों से लागू कानून बेकार हो गए हैं?
उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए था कि इस बिल को सर्वसम्मति से लाती, लेकिन इसके बजाय विपक्ष को डराने और गठबंधन दलों को साथ लाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.
खड़गे ने यह भी आरोप लगाया कि इस बिल का इस्तेमाल आने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव में किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार लोकतांत्रिक सहमति बनाने के बजाय राजनीतिक हथकंडों का सहारा ले रही है.
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इस पूरे मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्षी इंडिया गठबंधन पर हमला बोला है. उन्होंने कहा, यह सत्र राष्ट्र के दृष्टिकोण से सफल रहा लेकिन विपक्ष के नज़रिए से असफल साबित हुआ. सरकार का मकसद बिल लाकर खुद को बचाना नहीं होता, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करना होता है. उन्होंने कहा कि इस बार भी विपक्ष चर्चा से बचता रहा जबकि कई अहम बिल संसद में पारित हुए.
रिजिजू ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को भी भ्रष्टाचार कानून के दायरे में रखा है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने सिफारिशों के खिलाफ जाकर यह सुनिश्चित किया कि अगर पीएम भी भ्रष्टाचार में शामिल पाए जाते हैं, तो उन्हें जेल जाना होगा और पद छोड़ना पड़ेगा.
रिजिजू ने साफ कहा कि चाहे मुख्यमंत्री हो, प्रधानमंत्री या फिर केंद्रीय मंत्री- कोई भी पद कानून से ऊपर नहीं हो सकता. उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि इस क्रांतिकारी बिल पर उन्हें आपत्ति क्यों है, जबकि पूरा देश इसका स्वागत कर रहा है.