कोरोना का कहर पूरी दुनिया ने देखा है. इस एक वायरस ने कई लोगों की जान ली है, कई तरह की मुसीबतें खड़ी की हैं. लेकिन इसका इलाज भी निकला है. इलाज है कोरोना की वैक्सीन है. एक नहीं कई वैक्सीन मार्केट में आ चुकी हैं. अब इन वैक्सीन में भी बूस्टर डोज ने अहम रोल निभाया है. माना जा रहा है कि अगर बूस्टर डोज नहीं दी जाती तो कोरोना के बदलते स्वरूप की वजह से और ज्यादा लोगों की मौतें होती. इसी को लेकर एक नई स्टडी सामने आ गई है.
हांगकांग में एक स्टडी की गई है जिसमें 18 साल से ज्यादा उम्र के उन लोगों को शामिल किया गया जिन्हें कोई दूसरी स्वास्थ्य संबंधी बीमारी थी. वहां भी एक ग्रुप को तो कोरोना की सिर्फ दो वैक्सीन दी गईं तो वहीं एक ग्रुप को बूस्टर डोज भी मिली. अब स्टडी बताती है कि जिन लोगों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज दी गई, उनमें मौतें 90 प्रतिशत तक कम हुईं. ये स्टडी नवंबर 2021 से मार्च 2022 तक की गई थी. यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग के Esther Chan बताते हैं कि स्टडी के जो नतीजे आए हैं, उससे साफ है कि बूस्टर डोज कोरोना के खिलाफ असरदार है. ओमिक्रॉन के बढ़ते प्रकोप के बीच में भी जिन लोगों को दूसरी बीमारियां हैं, उन्हें बूस्टर से मदद मिली है.
अब बूस्टर डोज को लेकर ये जागरूकता चलाई गई, जमीन पर उसका असर भी दिखा. अकेले जनवरी 2022 तक ही सभी योग्य लोगों को बूस्टर डोज दे दी गई थी. करीब तीन मिलियन लोगों को बूस्टर डोज मिली थी, वो भी सिर्फ चार महीने के भीतर. अब स्टडी करने वाले जानकार मानते हैं कि समय रहते दी गई इस बूस्टर डोज ने मौतों को काफी कम कर दिया. अब ये स्टडी सिर्फ संकेत नहीं देती है बल्कि इस बात को सिद्ध करती है कि कोरोना से बचने में बूस्टर डोज अहम है. ये एक सांइटिफिक सबूत साबित हो सकती है. अब हांगकांग की तरफ से ये रिसर्स उस समय की गई है जब दुनिया के कुछ देशों में एक बार फिर कोरोना पैर पसार रहा है. इस लिस्ट में चीन तो सबसे आगे है जहां पर कोरोना के रिकॉर्ड मामले दर्ज हो रहे हैं. वहां पर मामले बढ़ने का कारण है कम लोगों को लगी वैक्सीन. ऐसे में ये रिसर्च बताती है कि सिर्फ कोरोना वैक्सीन नहीं लगानी है, बल्कि बूस्टर डोज लेने पर भी ध्यान देना है.