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'नफरत और सांप्रदायिकता सबसे बड़ी चुनौती...', कांग्रेस नेताओं को खड़गे ने दिया चुनावी मंत्र

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हमें भाजपा-आरएसएस की जनविरोधी और संविधान विरोधी सोच के खिलाफ लगातार लड़ना होगा. हम संसद के अंदर और बाहर उनके खिलाफ लड़ रहे हैं. हमें लोगों के मुद्दे उठाने होंगे. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने पिछले लोकसभा चुनाव से पहले भारत जोड़ो यात्रा के जरिए एक मुहिम चलाई थी, हमें फिर से ऐसा ही अभियान चलाना होगा.

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कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक में खड़गे (फाइल फोटो)
कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक में खड़गे (फाइल फोटो)

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नवनियुक्त जिला कांग्रेस अध्यक्षों की बैठक को संबोधित किया, जिसमें बिहार, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया. इस बैठक में खड़गे ने कहा कि आप लोग चुनावों के लिए छह महीने या एक साल के लिए नहीं बल्कि पांच साल के लिए तैयारी करें. उन्होंने वोटर लिस्ट में किसी भी तरह की छेड़छाड़ को रोकने के लिए सभी नेता से भरपूर कोशिश करने की अपील की है.

भारत जोड़ो यात्रा जैसी मुहिम की जरूरत

कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं से जनता के मुद्दे उठाने का आह्वान करते हुए खड़गे ने कहा कि राहुल गांधी ने पिछले लोकसभा चुनाव से पहले भारत जोड़ो यात्रा के जरिए जैसी मुहिम चलाई थी हमें फिर से वैसी ही मुहिम चलानी होगी. खड़गे के अलावा राहुल गांधी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव प्रभारी संगठन केसी वेणुगोपाल जिला प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों की इस बैठक में शामिल हुए.

इंदिरा गांधी भवन में आयोजित बैठक में असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के 302 जिला कांग्रेस अध्यक्षों ने हिस्सा लिया. इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पार्टी के राज्य इकाई प्रमुख और प्रभारी भी मौजूद थे. खड़गे ने डीसीसी अध्यक्षों से कहा कि वे अगले कुछ वर्षों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए मजबूती से तैयारी करें. उन्होंने कहा कि बढ़ती सांप्रदायिकता सबसे बड़ी चुनौती है और पार्टी नेताओं को इससे उसी तरह लड़ना होगा जैसे कांग्रेस ने 1947-48 में आजादी के वक्त में किया था.

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मणिपुर पर सिर्फ एक घंटे चर्चा क्यों?

अपने प्रारंभिक भाषण में खड़गे ने शुक्रवार को समाप्त हुए संसद के बजट सत्र के बारे में भी बात की और सरकार पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के एजेंडे पर चलने और लोगों से जुड़े मुद्दों की अनदेखी करने का आरोप लगाया. खड़गे ने कहा कि सरकार महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक विफलता या अमेरिकी टैरिफ पर बहस करने के लिए रात के 4 बजे तक संसद नहीं चलाती. वह मणिपुर पर रात के अंधेरे में बहस कराती है ताकि विधायी कार्य गुप्त रूप से किया जा सके, क्या मणिपुर पर चर्चा सिर्फ एक घंटे होनी चाहिए थी?

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उन्होंने कहा कि बिहार में सितंबर-अक्टूबर में चुनाव होने हैं, इसलिए वहां के नेताओं को पूरी ताकत से तैयारी शुरू कर देनी होगी. खड़गे ने कहा कि अगले साल असम और पश्चिम बंगाल में चुनाव हैं, उसके बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चुनाव हैं. हमें इन चुनावों में पूरी तैयारी और मजबूती के साथ उतरना है.

गरीबों और बेसहारा के हित सबसे ऊपर

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हमें भाजपा-आरएसएस की जनविरोधी और संविधान विरोधी सोच के खिलाफ लगातार लड़ना होगा. हम संसद के अंदर और बाहर उनके खिलाफ लड़ रहे हैं. हमें लोगों के मुद्दे उठाने होंगे. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने पिछले लोकसभा चुनाव से पहले भारत जोड़ो यात्रा के जरिए एक मुहिम चलाई थी, हमें फिर से ऐसा ही अभियान चलाना होगा. उनके संविधान बचाओ अभियान ने बीजेपी को बहुमत हासिल करने से रोक दिया था.

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इस बात का जिक्र करते हुए कि इस साल महात्मा गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की शताब्दी है, खड़गे ने कहा कि पार्टी ने बेलगाम सम्मेलन में 2024-25 को 'संगठन सशक्तिकरण' वर्ष के रूप में मनाने का फैसला लिया है. उन्होंने 1931 में लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में महात्मा गांधी के शब्दों को याद किया, जब उन्होंने कहा था कि कांग्रेस लाखों भूखे और गरीब लोगों के लिए अन्य सभी हितों का बलिदान कर देगी.

पूरे पांच साल करें चुनाव की तैयारी

खड़गे ने कहा कि गांधी जी ने वास्तव में यह बात गांवों, देहातों, कमजोर वर्गों, बेजुबान लोगों के लिए कही थी, जिनकी आवाज कांग्रेस बनी. मौजूदा सरकार गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों के अधिकारों के खिलाफ है, इसलिए हमें और मजबूती से लड़ने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि हमें चुनावों के लिए पूरे पांच साल तक तैयारी करनी होगी. अगर कोई सोचता है कि वह चुनावों से छह महीने या एक साल पहले तैयारी कर लेगा, तो यह सही नहीं है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विचारों और कार्यक्रमों को नीचे तक पहुंचाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कड़ी जिला अध्यक्ष ही हैं. खड़गे ने कहा कि आज, बढ़ती सांप्रदायिकता और नफरत सबसे बड़ी चुनौती है. हमें इससे उसी तरह लड़ना होगा जैसे कांग्रेस ने 1947-48 में लड़ाई लड़ी थी. गांधीजी के जीवन के अंतिम दिनों में 15 से 17 नवंबर 1947 को आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में सांप्रदायिक संगठनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया गया था.

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गांधीजी के दिखाए रास्ते पर चलें

खड़गे ने कहा कि आज भी स्थिति वैसी ही है, हमारी सबसे बड़ी लड़ाई सांप्रदायिक ताकतों से है जो समाज में जहर फैलाने में लगी हैं. सत्ता के लालच में एक ही धर्म के लोगों के बीच खाई खोदी जा रही है और भाई-भाई को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है. हमारे पास राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और हमारे महान नेताओं द्वारा दिखाया गया रास्ता है. इसके अलावा खड़गे ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया पर नजर रखी जानी चाहिए और वोटर लिस्ट से छेड़छाड़ रोकने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए.

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खड़गे ने कहा कि आप अपनी टीम के साथ ईमानदारी और लगन से काम करें. हम आपके साथ रहेंगे और हमें पूरा भरोसा है कि आप सभी हमारा संदेश आगे ले जाएंगे. आप इसे जन-जन तक ले जाएंगे और आप संगठन निर्माण के काम को आगे बढ़ाएंगे, साथ ही कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए काम करेंगे. बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि डीसीसी अध्यक्षों के साथ बहुत ही सार्थक बैठक हुई, अहमदाबाद में एआईसीसी सेशन से पहले यह तीसरी और अंतिम बैठक थी.

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इन मुद्दों पर पार्टी का फोकस

26 मार्च को हुई पहली बैठक में केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, पांडिचेरी, लक्षद्वीप, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गोवा, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के 255 डीसीसी अध्यक्षों ने हिस्सा लिया. 3 अप्रैल को हुई दूसरी बैठक में महाराष्ट्र, मुंबई, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब और चंडीगढ़ के 305 डीसीसी अध्यक्षों ने भाग लिया. वेणुगोपाल ने बताया कि कुल मिलाकर 862 डीसीसी अध्यक्षों ने इन बैठकों में हिस्सा लिया है.

वेणुगोपाल ने कहा कि चर्चा के मुख्य क्षेत्र बूथ मैनजमेंट और वोटर वैरिफिकेशन, मीडिया और सोशल मीडिया कैंपेन तथा पार्टी गतिविधियों के लिए फंड मैनेजमेंट पर फोकस था. वेणुगोपाल ने कहा कि इस तरह की बैठक 20 साल में नहीं हुई थी, जो पार्टी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पल है. वेणुगोपाल ने कहा कि यह डीसीसी अध्यक्षों और आलाकमान के बीच सीधी बातचीत थी. हम अब डीसीसी अध्यक्षों के साथ नियमित संवाद के लिए एक सिस्टम बना रहा हैं.

संगठन की मजबूती पर जोर

उन्होंने बताया कि लगभग 60 डीसीसी अध्यक्षों ने संगठन को मजबूत करने और बदलाव लागू करने पर अपने विचार साझा किए. वेणुगोपाल ने कहा कि इन मुद्दों पर गहन चर्चा की गई. उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि गुजरात में एआईसीसी सत्र से ठीक पहले आयोजित यह बैठक हमारे संगठन के जमीनी स्तर को लेकर अहम जानकारी देने वाली रही. जैसा कि हमने कहा है, 2025 के लिए हमारा लक्ष्य एक मजबूत संगठनात्मक ढांचा स्थापित करना है.' 

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उन्होंने कहा कि 9 अप्रैल को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का अधिवेशन होगा जिसमें लगभग 1,725 निर्वाचित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी सदस्य, सांसद, मंत्री और अन्य वरिष्ठ नेता हिस्सा लेंगे. जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने इस बात पर जोर दिया है कि जिला कांग्रेस समितियों को जल्द ही काफी शक्तियां दी जाएंगी, जिससे उनकी जिम्मेदारी के साथ-साथ जवाबदेही भी बढ़ेगी.

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