कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के नेतृत्व में शनिवार को राज्यपाल के कार्यालय के कथित दुरुपयोग के विरोध में कांग्रेस पार्टी द्वारा 'राजभवन चलो' मार्च का आयोजन किया गया था. कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि इस मार्च का उद्देश्य यह बताना था कि राजभवन को किसी राजनीतिक दल का कार्यालय नहीं बनना चाहिए.
उपमुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि हमने राजभवन चलो का आयोजन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की ओर से नहीं किया था. उनका मामला अदालत में है. हम इस संवैधानिक पद की पवित्रता की रक्षा की मांग के साथ राजभवन पहुंचे थे.' शिवकुमार ने अफसोस जताया कि राज्यपाल के पास कुछ व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगने वाली कई याचिकाएं लंबित हैं.
डीके शिवकुमार के नेतृत्व में कांग्रेस का मार्च
हाथों में तख्तियां, बैनर, पोस्टर लिए हुए और राज्यपाल थावरचंद गहलोत के खिलाफ नारे लगाते हुए, शिवकुमार के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं ने मार्च निकाला. इस मार्च में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के कई मंत्रियों, विधायकों और सांसदों ने हिस्सा लिया. बाद में उन्होंने राज्यपाल थावरचंद गहलोत को एक ज्ञापन सौंपा. अपने ज्ञापन में, कांग्रेस नेताओं ने केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी, पूर्व मंत्री जी जनार्दन रेड्डी, शशिकला जोले, मुरुगेश निरानी और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 और बीएनएसएस (197 सीआरपीसी) की धारा 218 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी देने की मांग की.
उन्होंने लोकायुक्त पुलिस द्वारा मांगी गई भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधन अधिनियम, 2018) की धारा 17ए के तहत पूर्व मंजूरी भी मांगी. कांग्रेस नेताओं ने ज्ञापन में कहा, 'हम मुकदमा चलाने की मंजूरी देने में आपके चयनात्मक दृष्टिकोण से चिंतित हैं. जबकि सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की गई, भाजपा और जद (एस) नेताओं जैसे एचडी कुमारस्वामी, शशिकला जोले, मुरुगेश निरानी और जनार्दन रेड्डी से जुड़े मामलों में भ्रष्टाचार के सबूत होने के बावजूद स्पष्ट देरी और लापरवाही हुई है.'
कांग्रेस ने गवर्नर पर लगाया पक्षपात का आरोप
कांग्रेस ने कहा कि कर्नाटक के लोग ऐसे राज्यपाल को बर्दाश्त नहीं करेंगे जो न्याय और लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाए रखने में विफल रहे. डीके शिवकुमार द्वारा गवर्नर थावरचंद गहलोत को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया, 'राज्यपाल के रूप में आपकी भूमिका संविधान को बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना है कि न्याय बिना किसी भय या पक्षपात के किया जाए. हम आपसे अपने निर्णयों में निष्पक्षता प्रदर्शित करने और राजनीतिक पूर्वाग्रह की बढ़ती चिंताओं को दूर करने का आग्रह करते हैं.'
इससे पहले, सिद्धारमैया, उनके कैबिनेट सहयोगियों, कांग्रेस विधायकों और सांसदों ने विधानसभा परिसर में गांधी प्रतिमा के पास धरना-प्रदर्शन किया. कथित मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइट आवंटन घोटाले में सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ जांच और मुकदमा चलाने की अनुमति देने के बाद कांग्रेस सरकार राज्यपाल थावरचंद गहलोत के खिलाफ हमलावर है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया आरोप लगाते रहे हैं कि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार को 'अस्थिर' करने के लिए राज्यपाल के कार्यालय का दुरुपयोग किया जा रहा है.
सिद्धारमैया ने जांच और मुकदमे की अनुमति देने में गवर्नर थावरचंद गहलोत पर भेदभाव करने का भी आरोप लगाया. राज्यपाल गहलोत ने गत 16 अगस्त को तीन सामाजिक कार्यकर्ताओं की याचिकाओं में उल्लिखित कथित अपराधों के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी.