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विपक्ष के हर दांव की काट, वोट बैंक साधने की कोशिश... योगी के 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे की पीछे की वजह क्या?

सीएम योगी ने बयान में जिक्र बांग्लादेश का है. लेकिन फिक्र उत्तर प्रदेश की है. ऐसे में दस्तक देता सियासी सवाल है कि क्या योगी आदित्यनाथ ने हिंदू हित की उस नब्ज को दोबारा थाम लिया है, जिसके जरिए विपक्ष के हाथों चढ़ाए गए जाति के सियासी बुखार को नापकर इलाज किया जा सकता है? बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक हैं. शेख हसीना के कुर्सी से हटने के बाद ये सच है कि अत्याचार और भी ज्यादा बांग्लादेश के हिंदुओं पर हुआ है.

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सीएम योगी ने आगरा में दिया बड़ा सियासी बयान
सीएम योगी ने आगरा में दिया बड़ा सियासी बयान

अपने बयानों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ताजा बयान लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नारा दिया 'बंटेंगे तो कटेंगे'. संदर्भ बांग्लादेश के हालात का देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बंटना नहीं है, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे और सुरक्षित रहेंगे. मकसद है जाति में बंटे वोट को वापस धर्म के आधार पर जोड़ने का. कहा जाने लगा कि ये वो नारा है जो धर्म के मुकाबले जाति से होती सियासी टक्कर में बीजेपी को पीछे कदम खींचने से रोक सकता है.

दरअसल, ओल्ड पेंशन स्कीम को रेवड़ी बताते हुए केंद्र की मोदी सरकार यूपीएस यानी यूनिफाइड पेंशन स्कीम ले आई है. विपक्ष ने बोला इसमें यू मतलब यू टर्न है. वक्फ बिल जोर शोर से पेश होकर जेपीसी को भेजा गया. दावा हुआ कि साथी दल भी फिलहाल यही चाहते थे. केंद्र में लैटरल एंट्री को आरक्षण के विवाद में सवाल उठने पर वापस ले लिया गया. प्रॉपर्टी से जुड़े कैपिटल गेन टैक्स में विरोध के बाद संशोधन किया गया. ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 को फिलहाल होल्ड पर डाल दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर की बात कही तो सरकार ने तुरंत कहा लागू नहीं होने देंगे. यूपी की 69000 शिक्षक भर्ती में हाईकोर्ट की डबल बेंच ने मेरिट लिस्ट रद्द की, योगी सरकार ने कहा सबके हितों को पूरा ध्यान रखा जाएगा.

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अब लोकसभा चुनावों के बाद 78 दिन के भीतर दिल्ली से उत्तर प्रदेश तक हर कदम संभल कर रखा जा रहा है. और तब अखिलेश यादव दावा करते हैं कि अगला यू-टर्न जाति आरक्षण को लेकर बीजेपी लेने वाली है. सपा सुप्रीमो ने कहा, "देख लीजिएगा, बीजेपी भी उसी रास्ते पर चलेगी, एक साल पहले कहा था बीजेपी भी स्वीकार करेगी, जाति गणना को आगे आएगी. बीजेपी बहुत जल्दी यू टर्न पार्टी बनने जा रही है जाति गणना में भी यू-टर्न लेगी." उधर, राहुल गांधी का जोर इस बात पर है कि बीजेपी चाहकर भी जाति गणना रोक नहीं सकती. कराना ही होगा. 

जाति के तरकश से निकलते धर्मभेदी इन्हीं तीरों के सामने अब अचानक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आक्रामक राजनीतिक बयान दिया. उन्होंने कहा, "राष्ट्र से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता और राष्ट्र कब सशक्त होगा, जब हम एक रहेंगे, नेक रहेंगे. बटेंगे तो कटेंगे, आप देख रहे हैं ना, बांग्लादेश में देख रहे हो ना, वो गलतियां यहां नहीं होनी चाहिए."

औरंगजेब से लड़ने वाले वीर दुर्गादास राठौड़ की प्रतिमा का अनावरण करने आगरा पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने ये बयान दिया था. 

जिक्र बांग्लदेश का, फिक्र उत्तर प्रदेश की?

सीएम योगी ने बयान में जिक्र बांग्लादेश का है. लेकिन फिक्र उत्तर प्रदेश की है. ऐसे में दस्तक देता सियासी सवाल है कि क्या योगी आदित्यनाथ ने हिंदू हित की उस नब्ज को दोबारा थाम लिया है, जिसके जरिए विपक्ष के हाथों चढ़ाए गए जाति के सियासी बुखार को नापकर इलाज किया जा सकता है? बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक हैं. शेख हसीना के कुर्सी से हटने के बाद ये सच है कि अत्याचार और भी ज्यादा बांग्लादेश के हिंदुओं पर हुआ है. लेकिन उसका उत्तर प्रदेश में जिक्र क्यों? यूपी में बंटेंगे तो कटेंगे वाली चिंता बहुसंख्यक हिंदुओं के सामने क्यों रखी गई? जहां डबल इंजन बीजेपी का ही है. 

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विपक्ष की तरफ से कहा जा रहा है कि अपनी कुर्सी को बचाने के लिए योगी आदित्यनाथ बंटेंगे तो कटेंगे वाला बयान दे रहे हैं. लेकिन राजनीति के जानकार इस बयान, इस नारे में और भी बड़ी राजनीति देखते हैं. धर्म और जाति. राजनीति के ये दो कार्ड दशकों से चलते आए हैं. 90 के दशक में जब मंडल और कमंडल आमने-सामने आए तो जो नारे गढ़े गए, उन पर गौर करने की जरूरत है. हिंदूत्ववादी लोग बीजेपी के पक्ष में नारा देते थे कि जो हिंदू हित की बात करेगा वही देश पर राज करेगा. इसके जवाब में पिछड़ों की सियासत से नारा आता था, "जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी." 

2022 में दिया था 80 बनाम बीस का नारा

वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले नारा आया '80 बनाम बीस' का, जो योगी आदित्यनाथ ने ही दिया. यहां 80 मतलब बहुसंख्यक वोट और बीस मतलब अल्पसंख्यक वोट. जब विवाद हुआ तो इसी के जवाब में कहा जाने लगा 85 बनाम 15 यानी 85 फीसदी में पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक, बाकी 15 में सिर्फ सवर्ण हिंदू. और जब लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पिछड़ों, दलितों के वोट का नुकसान हुआ है, तब योगी आदित्यनाथ का दिया नारा क्या वापस जातियों में बंटे वोट को धर्म के गोले में जोड़कर बीजेपी के पास ला सकता है?

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सीट घटी तो बदल गया योगी आदित्यनाथ का नारा?

सवाल उठ कहा है कि 2022 में चले 80 बनाम 20 का राजनीति में नया अपडेटेड वर्जन है बंटेंगे तो कटेंगे? आखिर क्यों बांग्लादेश के हालात का जिक्र करके बंटेंगे तो कटेंगे वाली बात कही. क्या इसलिए क्योंकि अब तक जिन जातियों का वोट हिंदू धर्म के आधार पर एकजुट होकर मिलता था, वो इस बार बंट गया? उत्तर प्रदेश में ही 2019 के मुकाबले 2024 में अगर बीजेपी की 29 सीट घटी तो इसकी बड़ी वजह रही, कोइरी-कुर्मी वोट 19 प्रतिशत तक घटना, अन्य ओबीसी वोट 15 प्रतिशत घटना, यादव वोट 9 फीसदी घटना, गैर जाटव दलित वोट 20 प्रतिशत तक घटना. जातियों का वोट जो धर्म के नाम पर बीजेपी के पास एकजुट था, उसी के छिटकने से ना सिर्फ यूपी बल्कि देश के और भी हिस्सों में बीजेपी को नुकसान हुआ. 

इसका नतीजा ये है कि राहुल ना संविधान की बात छोड़ते हैं, ना जाति आरक्षण की. उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी चुनाव बाद पहले दौरे पर गए तो मोची की दुकान पर रुके. जूता सिला. मोची को मदद पहुंचवाई. फिर रायबरेली में दलित हत्याकांड के पीड़ित परिवार से मिले. अब प्रयागराज गए तो जाति गणना की बात को फिर से दोहराया. धर्म के गोंद से चिपके वोट को जाति की धार से खुरचकर विपक्ष जब चुनौती दे रहा है, तब योगी आदित्यनाथ ने बांग्लादेश के हिंदुओं का जिक्र करके देश के बहुसंख्यक को साधते दिखते हैं. 

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ऐसे में आपके मन में सवाल होगा कि बांग्लादेश के हिंदुओं की बात करके बंटेंगे तो कटेंगे क्यों याद कराया जा रहा है? क्योंकि जब चुनाव से लेकर अब तक विपक्ष बीजेपी को संविधान विरोधी आरक्षण विरोधी पिछड़ा विरोधी के कठघरे में खड़ा करने का राजनीतिक नैरेटिव गढ़कर फायदा उठा रहा है, तब बीजेपी की तरफ से दिए गए जवाब कुछ इस तरह रहे कि विपक्ष राम मंदिर विरोधी है. विपक्ष शक्ति विरोधी है. विपक्ष सनातन विरोधी है. कांग्रेस ने तो खुद ही आपातकाल लगा दिया था. विपक्ष मुस्लिम तुष्टिकरण करता है. लेकिन इसका असर ज्यादा नहीं देखा गया. वजह देश की मौजूदा वोटर में बहुत बड़ी संख्या ऐसे वोटर की है, जिन्हें ना तो आपातकाल की याद है. ना ही 90 के राम मंदिर आंदोलन की याद है. लेकिन बांग्लादेश में जो कुछ अभी हो रहा है वो वर्तमान है. तब क्या योगी आदित्यनाथ को लगता है कि बांग्लादेश में घटते हिंदू और उन पर अत्याचार को याद कराके विपक्ष के जाति वाले दांव का जवाब दिया जा सकता है?

(आजतक ब्यूरो)

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