यूपी के गाजियाबाद में किसान आंदोलन के आसपास के लोगों ने परेशान होकर किसानों को चेतावनी दे डाली है. लोगों ने कहा है कि अब किसानों को रास्ता साफ कर देना चाहिए. एक साल से लोग वैकल्पिक रास्तों से आवागमन कर रहे हैं. किसान हमारी परेशानियों को समझें. प्रधानमंत्री ने जब कानून वापसी का ऐलान कर दिया है तो अब आंदोलन खत्म कर देना चाहिए.
लोगों का कहा है कि पिछले साल 26 नवंबर को किसान दिल्ली की सीमाओं पर एकत्रित हुए और विरोध-प्रदर्शन शुरू किया. किसान आंदोलन को एक साल हो गया है. कई राजमार्गों के अवरुद्ध होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. नागरिकों को यात्रा के लिए वैकल्पिक रास्ते निकालने में का एक साल हो गया है.
अब जब प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान कर दिया है तो विरोध स्थल के आसपास के क्षेत्रों के लोग चाहते हैं कि ये आंदोलन समाप्त हो और लोगों के आने-जाने का रास्ता साफ हो. इसके लिए वे धरना देने की तैयारी में हैं.
नागरिक चाहते हैं कि खत्म हो किसान आंदोलन
जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा की है, तब से धरनास्थलों के आसपास रहने वाले नागरिकों का धैर्य जवाब देने लगा है. रोज़ाना काम करने के लिए वैकल्पिक मार्ग से आते-जाते हुए लोग तंग आ चुके हैं. गाजियाबाद के निवासी जो एनएच-9 का उपयोग कर रहे थे, वे अब यूपी के रास्ते प्रदर्शन करने जा रहे हैं. लोग आंदोलन से हो रही परेशानी के विरोध में धरना देने की तैयारी में हैं.
फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ अपार्टमेंट ओनर्स ने अपनी समस्याओं को लेकर प्रदर्शन करने की योजना बनाई है. एसोसिएशन का कहना है कि किसान आंदोलन से लोगों का जनजीवन प्रभावित हो रहा है.
एसोसिएशन के अध्यक्ष आलोक कुमार ने इंडिया टुडे को बताया कि हम पिछले एक साल से तमाम परेशानियां झेल रहे हैं. कई अभिभावकों ने अपने बच्चों को पीजी या फ्लैट में रहने के लिए कहा है, क्योंकि वे नहीं चाहते कि बच्चे वैकल्पिक मार्गों से यात्रा करें, जिसमें बहुत समय लगता है.
उन्होंने कहा कि जब किसानों ने NH-9 को जाम कर दिया, जो हमारे लिए आने-जाने का प्रमुख मार्ग था तो हमने सहयोग किया, क्योंकि हम उनकी समस्या समझते हैं, लेकिन अब जब सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया है, तो हम चाहते हैं कि किसान एक वैकल्पिक जगह की तलाश करें, ताकि आम लोगों का जीवन सामान्य हो सके.
नागरिक और किसान आमने-सामने
नागरिक गाजियाबाद के आम्रपाली गांव से यूपी दो पंक्तियों में गेट, यातायात की आवाजाही को बाधित किए बिना और विरोध स्थल तक पहुंचें. लोग किसानों से बात करना चाहते हैं और धरना स्थल की जगह बदलने के लिए बात कर रहे हैं.
29 नवंबर को सुबह 11 बजे से आम लोग एक रैली निकालेंगे. स्थानीय लोगों ने इंडिया टुडे को बताया कि अगर किसान नहीं हटे तो वे भी धरने पर बैठेंगे, क्योंकि उन्हें अब किसी से भी कोई उम्मीद नहीं है. वे कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.