आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू के लिए राहत भरी ख़बर आई है. विजयवाड़ा की एसीबी कोर्ट ने उन्हें फाइबरनेट केस में बड़ी कानूनी राहत दी. क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले को ख़ारिज कर दिया. कोर्ट ने नायडू समेत सभी आरोपियों को मामले में क्लीन चिट दे दी.
फाइबरनेट केस उस समय का मामला है जब चंद्रबाबू विपक्ष में थे और प्रदेश में YSRCP की सरकार थी. तत्कालीन एमडी माधुसूदन रेड्डी ने शिकायत की थी कि फाइबरनेट कॉरपोरेशन में 2014 से 2019 के बीच टेंडर नियमों का उल्लंघन कर सरकारी खजाने को नुक़सान पहुंचाया गया है. इस को लेकर क् CID ने कथित गड़बड़ियों को लेकर जांच शुरू कर दी थी.
आरोप लगाया गया था कि टेंडर नियमों का उल्लंघन करते हुए सॉफ्टवेयर कंपनियों को टेंडर दिया गया, जिससे सरकार को क़रीब 114 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ.
किन-किन के ख़िलाफ़ दर्ज हुआ था मामला?
चार्जशीट में चंद्रबाबू नायडू को A-25 आरोपी बनाया गया था. इनके अलावा तत्कालीन फाइबरनेट चेयरमैन वेमुरी हरिकृष्ण, एमडी के. संबाशिव राव, टेरासॉफ्ट कंपनी के डायरेक्टर तुम्मला गोपालकृष्ण और मुंबई और दिल्ली की कुछ सॉफ्टवेयर कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों के नाम भी शामिल थे.
ACB कोर्ट ने क्या कहा?
ACB कोर्ट ने पाया की CID द्वारा दर्ज किए गए मामले में प्रयाप्त सबूत नहीं है, जिससे ये साबित किया जा सके कि किसी को वित्तीय लाभ पहुंचाने की मंशा से टेंडर दिया गया हो. इसी को आधार बनाते हुए कोर्ट ने कहा कि अब इस केस को आगे नहीं चलाया जा सकता और सभी को क्लीन चिट दे दी गई.
यह भी पढ़ें: आंध्र प्रदेश में घने कोहरे की वजह से खाई में गिरी बस, नौ की मौत, 23 घायल
चंद्रबाबू नायडू की जीत
कोर्ट की ओर से आए इस फैसले मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के समर्थक बेहद ख़ुश हैं. उनका कहना है कि राजनीतिक बदले की भावना से यह केस दर्ज किया गया था. तेलुगु देशम पार्टी के नेताओं ने कोर्ट के फैसला का स्वागत करते हुए कहा कि आख़िरकार सत्य की जीत हुई.
कोर्ट के इस फैसले से फाइबरनेट केस का पूरा विवाद खत्म हो गया. फाइबरनेट केस दरअसल सरकार कि ऐसी योजना थी जिसमें सभी घरों तक इंटरनेट और टेलीफ़ोन सेवा पहुंचाने का मक्सद था.