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MNREGA का नाम बदलेगी सरकार, 'महात्मा गांधी' की जगह होगा 'पूज्य बापू'

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) का नाम बदलकर 'पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना' किया जा सकता है.

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MNREGA योजना का नाम बदलने की तैयारी में सरकार (File Photo: ITG)
MNREGA योजना का नाम बदलने की तैयारी में सरकार (File Photo: ITG)

केंद्र सरकार ने ग्रामीण रोजगार से जुड़ी अपनी सबसे महत्वपूर्ण योजना में बड़ा बदलाव करते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने और काम के दिनों की संख्या बढ़ाने को मंजूरी दे दी है. सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई. अब इस योजना का नाम ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ रखा जाएगा.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक योजना के तहत मिलने वाले कार्यदिवसों की संख्या बढ़ा दी गई है. पहले मनरेगा के तहत ग्रामीण परिवारों को 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित किया जाता था, जिसे अब बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक सरकार का कहना है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे और गरीब व जरूरतमंद परिवारों को आय का मजबूत सहारा मिलेगा.

मनरेगा स्कीम क्या है?

महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (MGNREGA), एक इंडियन लेबर लॉ और सोशल सिक्योरिटी उपाय है, जिसका मकसद 'काम करने के अधिकार' की गारंटी देना है. इसे शुरू में नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट 2005 कहा जाता था.

यह स्कीम एक फ्लैगशिप प्रोग्राम है, जिसका मकसद ग्रामीण परिवारों की रोजी-रोटी की सिक्योरिटी को बेहतर बनाना है. इसके लिए हर उस घर को एक फाइनेंशियल ईयर में कम से कम 100 दिन की गारंटी वाली नौकरी दी जाती है, जिसके बड़े सदस्य अपनी मर्ज़ी से अनस्किल्ड मैनुअल लेबर करते हैं.

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MNREGA दुनिया के सबसे बड़े वर्क गारंटी प्रोग्राम में से एक है, जिसे 2005 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने शुरू किया था.  2022-23 तक, MGNREGA के तहत 15.4 करोड़ एक्टिव वर्कर हैं. इस योजना का मकसद अधिकारों पर आधारित फ्रेमवर्क के ज़रिए पुरानी गरीबी की वजहों को दूर करना है. बेनिफिशियरी में कम से कम एक-तिहाई महिलाएं होनी चाहिए.

MNREGA के डिज़ाइन का सबसे ज़रूरी हिस्सा यह है कि यह किसी भी ग्रामीण बड़े व्यक्ति को काम मांगने के 15 दिनों के अंदर काम दिलाने की कानूनी गारंटी देता है, और ऐसा न करने पर 'बेरोज़गारी भत्ता' दिया जाना चाहिए. इन कामों की प्लानिंग और उन्हें लागू करने में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को अहम भूमिका देकर डीसेंट्रलाइज़ेशन की प्रक्रिया को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया गया. यह एक्ट ग्राम सभाओं को किए जाने वाले कामों की सिफारिश करने का अधिकार देता है और कम से कम 50% काम उन्हें ही करने होंगे.

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(इनपुट- चेतन भूटानी)
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