सीबीआई ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में कैश फॉर ट्रीटमेंट घोटाले का खुलासा किया था. इस मामले में एक न्यूरोसर्जन सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले के सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों के लिए नए निर्देश जारी किए हैं.
स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और दिल्ली सरकार के अस्पतालों के मेडिकल डायरेक्टर्स के साथ महत्वपूर्ण बैठक की. स्वास्थ्य मंत्री ने बैठक में निर्देश दिए कि अगर कोई दलाल अस्पतालों में मरीजों को भ्रमित कर दलाली करें, तो तुरंत उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए. सभी अस्पताल अपने रेट कॉन्ट्रैक्ट जल्द से जल्द रिन्यू करें ताकि मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाओं का पूरा लाभ मिल सके.
यह भी कहा गया कि सभी अस्पताल प्रबंधन मरीजों के इलाज से संबंधित अपना रजिस्टर मेंटेन करें, जिसमें मरीज का नाम-अस्पताल में पहले दिन आने की तिथि और सर्जरी की तिथि सहित पूरी जानकारी हो. इसके साथ ही सिस्टम को और ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए अस्पताल में हर एचओडी को मरीजों से संबंधित रजिस्टर मेंटेन करें.
आरोप है कि न्यूरोसर्जन मरीजों को सर्जरी के लिए जल्दी तारीख पाने के लिए अधिक कीमतों पर एक खास स्टोर से सर्जिकल किट और उपकरण खरीदने पर मजबूर करता था. उनपर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी से संबंधित आरोप लगे हैं.
न्यूरोसर्जन पर भ्रष्टाचार-रिश्वतखोरी के आरोप
न्यूरोसर्जन की पहचान डॉ. मनीष रावत के तौर पर हुई है, जिन्हें गिरफ्तार किया गया. इस मामले की गहन जांच के बाद, सीबीआई ने डॉ. रावत के साथ उनके चार विश्वासपात्रों को भी गिरफ्तार किया, जिसमें नई दिल्ली के कनिष्क सर्जिकल के मालिक दीपक खट्टर और बिचौलिए अवनीश पटेल, मनीष शर्मा और कुलदीप शामिल हैं. सीबीआई की ओर से बताया गया कि गिरफ्तारी के बाद गुरुवार सुबह 7:52 मिनट पर इसी अस्पताल में उनका मेडिकल परीक्षण भी किया गया.
वास्तविक कीमत से कई गुना में खरीदवाए उपकरण
सीबीआई ने कहा कि इसके बाद उसने उनसे मनीष शर्मा या कुलदीप (जो खट्टर के कर्मचारी थे) को नकद भुगतान करने या इन कर्मचारियों के बैंक खातों से जुड़े मोबाइल नंबरों पर पैसे ऑनलाइन ट्रांसफर करने को कहा था. पटेल ने कथित तौर पर मरीजों के तीमारदारों से मिले रुपयों को डॉ. रावत को व्यक्तिगत रूप से कैश में दिया या फिर उनके कहने के अनुसार मनीष शर्मा, कुलदीप, या खट्टर से के अलावा दूसरों को भेज दिया. डॉ. रावत ने चिकित्सा उपकरणों को उनकी वास्तविक कीमत से कई गुना अधिक पर खरीदने के लिए मजबूर किया था. वहीं दुकान के मालिक ने आरोपी सर्जन के साथ ओवरबिलिंग में हुआ प्रॉफिट शेयर किया था.
सीबीआई ने लगाए हैं ये आरोप
जांच में सामने आया है कि रावत ने अपने रोगियों से एक बिचौलिए के बैंक खाते में 30,000 रुपये से लेकर 1.15 लाख रुपये तक की रिश्वत जमा कराई है. सीबीआई ने रावत पर अत्यधिक महंगे सर्जिकल उपकरणों की बिक्री से कमाए अतिरिक्त धन के हेरफेर, रिश्वत के जरिए खुद और अपने सह-साजिशकर्ताओं को समृद्ध करने और बरेली निवासी एक निजी व्यक्ति गणेश चंद्र द्वारा नियंत्रित विभिन्न कंपनियों के माध्यम से अवैध लाभ का शोधन किए जाने का भी आरोप लगाया है.