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ईरान से लौटे कश्मीरी स्टूडेंट्स को श्रीनगर ले जा रही बस रास्ते में 5 बार हुई खराब, पठानकोट में 2 घंटे खड़ी रही

बस में सवार छात्र पहले ही ईरान में सड़क मार्ग से 2,000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करके आर्मेनिया पहुंचे और फिर कतर के रास्ते उन्होंने दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी. इस थका देने वाली यात्रा के बाद उन्हें सड़क मार्ग से श्रीनगर तक एक बार फिर थकाऊ यात्रा करनी पड़ी. 

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भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंधु के पहले चरण में 110 छात्र-छात्राओं को युद्धग्रस्त ईरान से बाहर निकाला. (PTI Photo)
भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंधु के पहले चरण में 110 छात्र-छात्राओं को युद्धग्रस्त ईरान से बाहर निकाला. (PTI Photo)

ईरान और इजरायल के बीच जारी जंग के बीच सैकड़ों भारतीय दोनों देशों में फंस गए हैं. ईरान में फंसे छात्रों को वापस लाने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंधु शुरू किया है. इस ऑपरेशन के पहले चरण में ईरान के पश्चिमी अजरबैजान प्रांत में स्थित उर्मिया मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे लगभग 110 भारतीय छात्रों को एयरलिफ्ट करके सुरक्षित नई दिल्ली पहुंचाया गया. इनमें से 90 छात्र कश्मीर के हैं, जिन्हें जम्मू-कश्मीर सरकार ने नई दिल्ली से सड़क मार्ग से श्रीनगर तक पहुंचाने की व्यवस्था की. हालांकि जिस बस (HR55AF 1751) से छात्रों को श्रीनगर ले जाया जा रहा है, वह जम्मू-कश्मीर सरकार के लिए शर्मिंदगी का कारण बन गई.

छात्रों के लिए जिस बस की व्यवस्था की गई थी, वह रास्ते में 5 बार खराब हुई. ईरान के युद्ध क्षेत्र से लौटने के बाद दिल्ली से श्रीनगर की यात्रा कर रहे छात्रों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. एक बार तो बस को मरम्मत के लिए पठानकोट हाईवे पर दो घंटे तक खड़ा रखा गया. बस में 14 छात्राएं भी सवार थीं. बस में सवार छात्र पहले ही ईरान में सड़क मार्ग से 2,000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करके आर्मेनिया पहुंचे और फिर कतर के रास्ते उन्होंने दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी. इस थका देने वाली यात्रा के बाद उन्हें सड़क मार्ग से श्रीनगर तक एक बार फिर थकाऊ यात्रा करनी पड़ी. 

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इससे पहले संघर्ष प्रभावित ईरान से निकाले गए भारतीय छात्रों ने अपनी सुरक्षित वापसी के लिए केंद्र को धन्यवाद दिया, लेकिन दिल्ली से घर वापस आने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा की गई खराब परिवहन व्यवस्था की आलोचना की. बसों की हालत से निराश छात्रों ने कहा कि विदेश में तनाव के दिनों को झेलने के बाद उन्हें बेहतर सुविधाओं की उम्मीद थी. छात्रों की इस तीखी प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के कार्यालय ने कहा कि छात्रों की चिंताओं का संज्ञान लिया गया है और नई दिल्ली से श्रीनगर की उनकी यात्रा के लिए डीलक्स बसों की व्यवस्था की जा रही है. हालांकि, जम्मू-कश्मीर राज्य सड़क परिवहन निगम ने जिस बस की व्यवस्था की उसने भी रास्ते में 5 बार धोखा दिया.

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सस्ती शिक्षा और सांस्कृतिक रूप से करीब होने के कारण ईरान कश्मीरी छात्रों के लिए एक पसंदीदा डेस्टिनेशन है. वर्तमान में 4,000 से अधिक भारतीय छात्र ईरान में पढ़ाई कर रहे हैं, उनमें से लगभग आधे जम्मू और कश्मीर से हैं. ये छात्र तेहरान, शिराज और कोम जैसे शहरों में मेडिकल और अन्य प्रोफेशनल कोर्स की पढ़ाई कर रहे हैं. इजरायल और ईरान जंग के बीच भारत ने अपने नागरिकों, खासकर छात्रों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं. तेहरान में भारतीय दूतावास ने 15 जून को एक एडवाइजरी जारी कर भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों से गैर-जरूरी आवाजाही को सीमित करने और रियल-टाइम अपडेट के लिए दूतावास चैनलों के संपर्क में रहने का आग्रह किया था.
 

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