क्या पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का भारत-रूस की रक्षा साझेदारी पर कोई असर पड़ेगा? क्या इन प्रतिबंधों से ब्रह्मोस का निर्यात प्रभावित होगा? ब्रह्मोस एयरोस्पेस के चीफ अतुल दिनकर राणे ने इन सवालों का जवाब दिया है. अतुल दिनकर राणे ने कहा है कि मॉस्को पर पश्चिमी प्रतिबंधों से भारत-रूस रक्षा साझेदारी कभी नहीं बाधित होगी, यह विश्वास है जो इस साझेदारी को काम करता है.
बता दें कि अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिम देशों ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस पर गंभीर प्रतिबंध लगा दिए हैं.
ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम है जो परमाणु हमला करने में सक्षम सुपरसोनिक मिसाइल बनाने में माहिर है. यही कंपनी भारत में चर्चा में रहे ब्रह्मोस मिसाइल बनाती है. ये कंपनी वर्तमान में हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस II विकसित कर रही है.
ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंडो-रूसी ज्वाइंट वेंचर के प्रबंध निदेशक और सीईओ अतुल दिनकर राणे ने रूस की समाचार एजेंसी TASS को बताया कि पश्चिम के कोशिशें रूस-भारत रक्षा साझेदारी को नहीं रोक पाएंगे और न ही कंपनी के काम को प्रभावित कर सकेंगे.
यह पूछे जाने पर कि क्या पश्चिमी देश भारत-रूस रक्षा और सुरक्षा सहयोग को रोक सकते हैं, राणे ने कहा कि उनकी व्यक्तिगत भावना यह है कि ऐसा कभी नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि और अगर कोई कोशिश भी करता है, तो वह केवल फेल होगा. भारतीय वैज्ञानिकों और रूसी टेक्निकल एक्सपर्ट के बीच का रिश्ता अभी इतना गहरा है कि इसे तोड़ना संभव नहीं है. भले ही कोई हमें कानून का वास्ता दे और कहे कि रूस के साथ और बात नहीं हो सकती है, आप किसी और से बात करिए. लेकिन हम हमेशा कहेंगे कि रूस के साथ ही काम करना आसान था.
राणे ने जोर देकर कहा कि यह भारत और रूस के बीच का विश्वास है जो पश्चिम के प्रतिबंधों के बावजूद इस साझेदारी को आगे भी कायम रखने में मदद करेगा.
राणे ने कहा, "हमने दोनों देशों के बीच जो विश्वास विकसित किया है, वह विश्वास हमारे लिए काम करने के लिए काफी अच्छा है, और हम इन सभी प्रतिबंधों के बावजूद आगे काम कर रहे हैं."
दीगर है कि रूस पारंपरिक रूप से भारत के लिए हथियारों का सप्लायर रहा है. जहां तक रूस और यूक्रेन युद्ध की बात है कई दूसरे पश्चिमी देशों के विपरित भारत ने यूक्रेन वार के लिए रूस की सीधी आलोचना नहीं की है. भारत संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे पर रूस की आलोचना करने के लिए हुए वोटिंग से भी दूर रहा है.
इस मामले में भारत का स्पष्ट रूख है कि इस संकट को संवाद और कूटनीति के जरिए सुलझाया जाए.
राणे ने यह भी कहा कि कई विदेशी देश ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं. राणे ने कहा, "फिलीपींस से पहला ऑर्डर है जो हमें मिला है." उन्होंने कहा कि वर्तमान में पांच देशों ने अपने ऑर्डर दिए हैं. उन्होंने कहा कि इस साल के मध्य में फिलीपींस को ब्रह्मोस हथियारों की सप्लाई शुरू हो जाएगी.