2024 चुनाव के लिए 26 पार्टियों के विपक्षी गठबंधन की घोषणा कल बेंगलुरु में हो गई. इसे इंडिया नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस यानी इंडिया नाम दिया गया है. राजनीति में रुचि रखने वालों की नज़र इस पर है कि 2024 से पहले ये गठबंधन कितना स्टेबल रहेगा और इस एकजुटता स्थितियों को प्रभावित करेगी. मीडिया रिपोर्ट्स में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराज़गी की जो ख़बरें चल रही थीं, उसे उन्होंने आज ख़ारिज़ कर दिया. इस गठबंधन के लिए एक चुनौती यह भी है कि इसमें कुछ ऐसे दल हैं जो कुछ राज्यों में मुख्य लड़ाई में हैं लेकिन केंद्र में बीजेपी को रोकने के लिए उन्हें साथ आना पड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल ही इस पर चुटकी ली थी और आज CPM नेता सीताराम येचुरी ने कहा है कि गठबंधन तो ठीक है लेकिन वो पश्चिम बंगाल में अपने प्रतिद्वंद्वी तृणमूल कांग्रेस के साथ हाथ नहीं मिलाएंगे और प्रदेश में वो कांग्रेस के साथ मिलकर टीएमसी और बीजेपी दोनों से मुक़ाबला करेंगे. येचुरी के बयान से इशारा मिलता है कि इंडिया अलायंस के लिए सीट बंटवारा सबसे बड़ा चैलेंज होगा. सुनिए ‘दिन भर’ में.
भारत सरकार के नीति आयोग ने इसी हफ्ते एक रिपोर्ट में कहा कि देश में मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी कम हो गई है. आमतौर पर ग़रीबी को पैसे की कमी के तौर पर देखा जाता है लेकिन मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी के दायरे में बटुए के वज़न के साथ साथ कई और परेशानियां भी आती हैं, जैसे पौष्टिक भोजन और साफ पानी की उपलब्धता, अच्छी शिक्षा.
इन्हीं पैमानों पर अब 2019-21 में भारत में मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी का एवरेज परसेंटेज 14.96 रहा, जबकि 2015-16 में ये 24.85 परसेंट था. रिपोर्ट कहती है कि 13.5 करोड़ लोग मल्टीडाइमेंशनल ग़रीबी से बाहर आ गए हैं और अब सिर्फ 22 करोड़ लोग बचे हैं. इसकी पुष्टि कुछ दिन पहले आई यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम की रिपोर्ट भी करती है, जिसमें कहा गया था कि 2005 में भारत में 64.5 करोड़ लोग मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी में थे जबकि 2019 तक उनकी संख्या सिर्फ 23 करोड़ रह गई. मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी को मापने के मानक क्या है? सुनिए ‘दिन भर’ में.
और भारत के खेल जगत में सब कुछ ठीक नहीं हैं. वर्ल्ड रेसलिंग फेडरेशन तो विवादों में घिरा ही है और अब भारत की एंटी डोपिंग एजेंसी पर भी आरोप लगे हैं. वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी यानी वाडा ने 2019 में भारत में एंटी डोपिंग बॉडी को लेकर जांच शुरू की थी जिसमें खिलाड़ियों और संस्थाओं की जांच की. वाडा का कहना है कि भारत में एंटी डोपिंग संस्था ठीक से काम नहीं कर रही है. उन्होंने कहा है कि साल 2021 में उन्होंने 13 खिलाड़ियों के सैंपल लिए थे जिसमें से एक खिलाड़ी डोपिंग टेस्ट में फेल हो गया.
साल 2021 में ही केंद्र सरकार ने एक कानून बना कर देश की नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी की शक्तियां बढ़ाई थीं. इसके बाद दावा किया गया था कि अब खेलों में डोपिंग की गुंजाइश अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों तक पहुँचने के पहले ही खत्म हो जाएगी. लेकिन नई रिपोर्ट इस पर सवाल खड़े करती है. सुनिए ‘दिन भर’ में.