बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद युनूस ने बुधवार को राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज, मीरपुर कैंटोनमेंट में आयोजित एक दीक्षांत समारोह में आगामी राष्ट्रीय चुनाव को लेकर महत्वपूर्ण संदेश दिया. युनूस ने सेना की सराहना करते हुए कहा कि उनकी भूमिका देश की सुरक्षा, विकास और राष्ट्र-निर्माण में लगातार महत्वपूर्ण रही है. उन्होंने उम्मीद जताई कि सेना आगामी फरवरी चुनाव को एक "उत्सव जैसा अवसर" बनाने में अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभाएगी.
मोहम्मद युनूस का यह बयान उस समय आया है जब देश में राजनीतिक अस्थिरता गहराती जा रही है. पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया गंभीर हालत में हैं और अपदस्थ नेता शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को आतंकवाद-रोधी कानून के तहत चुनाव लड़ने से अयोग्य कर दिया गया है. विश्लेषकों के अनुसार, इस खाली राजनीतिक मैदान ने दक्षिणपंथी और कट्टरपंथी समूहों को उभरने का अवसर दिया है.
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विश्लेषकों का कहना है कि पिछले साल के 'जुलाई विद्रोह' के बाद से दक्षिणपंथी ताकतों ने जमीन बनाई है और आगामी चुनाव में उनका प्रभाव और बढ़कर दिख सकता है. वहीं ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर इम्तियाज अहमद का कहना है कि किसी भी चरमपंथी प्रवृत्ति के उभरने में "राज्य की मिलीभगत" अक्सर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
युनूस सरकार लंबे समय तक सत्ता में नहीं टिक सकती!
प्रोफेसर ने चेतावनी दी कि राज्य-प्रबंधित चुनाव का परिणाम उलटा भी पड़ सकता है, जैसा इतिहास में कई बार देखा गया है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि युनूस सरकार लंबे समय तक सत्ता में टिक नहीं सकती क्योंकि आर्थिक चुनौतियां और विदेशी निवेश की कमी अत्यधिक दबाव पैदा कर रही है.
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छात्र आंदोलन में शेख हसीना ने गंवाई सत्ता
पिछले साल अगस्त में छात्र-नेतृत्व वाले 'जुलाई विद्रोह' के बाद शेख हसीना की सत्ता गिर गई थी. तीन दिन बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस पेरिस से ढाका लौटे और अंतरिम सरकार का नेतृत्व संभाला. इसके बाद उनके प्रशासन ने अवामी लीग को भंग कर चुनावों से बाहर कर दिया.
इस बीच, सेना के साथ सरकार के संबंध मधुर नहीं रहे हैं. सेना को लंबे समय से कानून-व्यवस्था बनाए रखने में लगाया गया है, जबकि सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज़-जमान पहले ही कह चुके हैं कि यह भूमिका उनकी पेशेवर क्षमता को प्रभावित कर सकती है.