ऑल इंडिया बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्पलॉइज फेडरेशन (BAMCEF) ने आज (25 मई) भारत बंद का ऐलान किया है. केंद्र सरकार की ओर से अन्य पिछड़ी जातियों की जाति आधारित जनगणना कराने से इनकार करने पर भारत बंद बुलाया गया है. BAMCEF को बहुजन मुक्ति पार्टी का भी समर्थन मिला है. वहीं, लेफ्ट पार्टियों ने महंगाई के विरोध में देशभर में प्रोटेस्ट का आह्वान किया है.
भारत बंद को लेकर सोशल मीडिया पर भी अभियान चलाया जा रहा है. इसे सफल बनाने की लोगों से अपील की जा रही है. संगठन की ओर से पुरानी पेंशन दोबारा शुरू करने, किसानों को MSP की गारंटी देने, लोगों को टीका लगवाने के लिए मजबूर न करने, NRC/CAA/NPR की कवायद रोकने जैसी मांग की जा रही है. इसके अलावा चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल पर रोक की भी मांग की गई है.
बताया जा रहा है कि भारत बंद का असर दिल्ली में कुछ खास नहीं दिखेगा, लेकिन यूपी और बिहार जैसे बड़े प्रदेशों में बड़ा असर हो सकता है. बिहार में इसके असर का कारण ये है कि वहां ये मुद्दा काफी ज्यादा छाया हुआ है. विपक्ष के नेता तेजस्वी जातिगत जनगणना की मांग लंबे समय से कर रहे हैं.
राजनीतिक दलों ने भी बीजेपी को घेरा
इधर, भारत बंद को लेकर राजनीतिक पार्टियों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं. कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि बीजेपी सरकार दलितों, पिछड़ों से अपने किए गए वादों से मुकर रही है. बीजेपी ने संसद और घोषणापत्र में पिछड़ों के लिए जाति जनगणना कराने की बात कही थी. सुरेंद्र राजपूत कहते हैं कि BAMCEF अगर इस मांग को लेकर और अन्य संवैधानिक मांग को लेकर भारत बंद का आह्वान कर रही है तो क्या गलत कर रही है? वहीं, समाजवादी पार्टी के नेता अनुराग भदौरिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी कमाल है. जाति जनगणना हो जाए तो उस में दिक्कत क्या है? अगर जाति जनगणना हो जाएगी इसमें बुराई क्या है?
क्या हैं मुख्य मांगें
- जाति के आधार पर हो जनगणना
- किसानों को मिले एमएसपी की गारंटी
- पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करने की मांग
- एनआरसी/सीएए/एनपीआर की कवायद रोकी जाए
- चुनाव में बंद हो ईवीएम को इस्तेमाल
- लोगों को टीका लगवाने के लिए मजबूर न किया जाए
- पर्यावरण संरक्षण की आड़ में आदिवासी लोगों के विस्थापन न हो
- ओडिशा और मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण में पृथक निर्वाचक मंडल की मांग की जाए.