उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में त्रिपुरा के 24 वर्षीय एमबीए छात्र एंजेल चकमा की नस्लीय हमले में मौत के मामले ने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया है. इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई है, जिसमें उत्तर-पूर्वी भारत के राज्यों के नागरिकों के खिलाफ नस्लीय अपमान और हिंसा को 'हेट क्राइम' की अलग श्रेणी में मान्यता देने की मांग की गई है.
याचिका वकील अनूप प्रकाश अवस्थी ने दाखिल की है. इसमें कहा गया है कि एंजेल चकमा की मौत कोई अलग-थलग घटना नहीं है, बल्कि उत्तर-पूर्वी नागरिकों के खिलाफ लंबे समय से चली आ रही नस्लीय हिंसा की एक कड़ी है. याचिका में 2014 में दिल्ली में अरुणाचल प्रदेश के छात्र निडो तनियम की हत्या जैसी पिछली घटनाओं का जिक्र किया गया है.
घटना 9 दिसंबर 2025 की है, जब एंजेल चकमा अपने छोटे भाई माइकल के साथ देहरादून के सेलाकुई इलाके में खरीदारी करने गए थे. कुछ स्थानीय युवकों ने उन पर 'चीनी', 'चिंकी' और 'मोमो' जैसी नस्लीय टिप्पणियां कीं. एंजेल ने इसका विरोध करते हुए कहा, 'हम चाइनीज नहीं, भारतीय हैं.' इस बात को लेकर विवाद बढ़ा और स्थानीय युवकों ने एंजेल पर चाकू और तेज हथियारों से हमला कर दिया, जिसमें उन्हें गंभीर चोटें आईं और 26 दिसंबर को अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
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याचिका में केंद्र और राज्यों से विशेष पुलिस इकाइयों का गठन, हर जिले/महानगर में नस्लीय अपराधों के लिए स्थायी नोडल एजेंसियां स्थापित करने और शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम चलाने के निर्देश देने की मांग की गई है. साथ ही, कानून बनने तक सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम दिशानिर्देश जारी करने की गुहार लगाई गई है. याचिका में तर्क दिया गया है कि उत्तर-पूर्वी नागरिकों के खिलाफ नस्लीय हिंसा एक निरंतर पैटर्न है, जिसे संसद में भी स्वीकार किया गया है, लेकिन इसके लिए कोई समर्पित कानूनी या संस्थागत ढांचा नहीं बनाया गया.
इस घटना ने पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन भड़का दिए हैं और राष्ट्रीय स्तर पर नस्लीय भेदभाव के खिलाफ कानून की मांग तेज हो गई है. पुलिस ने मामले में छह आरोपियों की पहचान की है, जिनमें से पांच गिरफ्तार हो चुके हैं, जबकि मुख्य आरोपी फरार बताया जा रहा है. याचिका में यह स्पष्ट किया गया है कि उत्तर-पूर्वी राज्यों के नागरिकों के खिलाफ नस्लीय अपमान और हमलों को ‘हेट क्राइम’ के रूप में मान्यता देना समय की मांग है. इससे न केवल पीड़ितों को न्याय मिलेगा, बल्कि समाज में समानता, सम्मान और सुरक्षा की भावना भी मजबूत होगी.