निजी एयरलाइंस इंडिगो की ताबड़तोड़ कैंसिल होती उड़ानों के बीच देश में लाखों लोग जानना चाहते हैं कि क्या भारतीय रेलवे जैसी कोई सरकारी एयरलाइंस कंपनी नही है. अपनी तमाम परेशानियों के बावजूद इंडियन रेल करोड़ों देशवासियों के सफर का इकलौता भरोसेमंद साथी है. ये भरोसा लोग विमानन क्षेत्र में देखना चाहते हैं.
लेकिन एयरलाइन सेक्टर की कहानी रेलवे जैसी नहीं है. यहां कभी भी सरकारी विमान कंपनी लंबे रेस का घोड़ा नहीं बन पाई. इंडियन एयरलाइंस भारत की पहली घरेलू सरकारी एयरलाइन थी. जिसकी स्थापना 1953 में हुई. यह टाटा एयरलाइंस और अन्य छोटी निजी एयरलाइंस के राष्ट्रीयकरण के बाद बनी. इसका मुख्य उद्देश्य देश के अंदर दूर-दराज़ के क्षेत्रों को हवाई संपर्क देना था.
इंडियन एयरलाइंस देश की पहली घरेलू सरकारी एयरलाइन
शुरू में इसके बेड़े में डग्लस DC-3, विकर्स वाइकाउंट, कारवेल और बाद में फॉकर F-27 जैसे विमान थे.1960-70 के दशक में इसने बोइंग 737, एयरबस A300 और फिर A320 को शामिल किया. इंडियन एयरलाइंस ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई को केंद्र बनाकर पूरे देश में नेटवर्क बनाया और पड़ोसी देशों (श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान) तक उड़ानें भरीं.
1990 के बाद निजी एयरलाइंस (जेट, सहारा, ईस्ट-वेस्ट) के आने से इंडियन एयरलाइंस पर दबाव बढ़ने लगा. इसकी बाजार हिस्सेदारी घटने लगी. भारी घाटा, पुराने बेड़े, श्रमिक समस्याएं और राजनीतिक हस्तक्षेप ने इसे कमजोर किया. आख़िरकार 2007 में सरकार ने एअर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का विलय कर नई कंपनी 'एअर इंडिया लिमिटेड' बनाई. 2011 में दोनों ब्रांड पूरी तरह समाप्त हो गए और केवल 'एअर इंडिया' रह गया.
टाटा एयरलाइन्स से एअर इंडिया तक का सफर
लेकिन भारत में विमानन क्षेत्र की कहानी एअर इंडिया के बिना पूरी नहीं होती है. एअर इंडिया की कहानी 1932 में टाटा संस के संस्थापक जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा से शुरू होती है. उन्होंने टाटा एयरलाइन्स की नींव रखी और 15 अक्टूबर 1932 को खुद कराची से मुंबई तक एक छोटा सिंगल-इंजन विमान उड़ाया. यह भारत की पहली कमर्शियल उड़ान थी.
यह भी पढ़ें: Indigo Crisis Live: देशभर में एयरपोर्ट्स पर त्राहिमाम, आज भी इंडिगो की 500 फ्लाइट्स कैंसिल
1946 में इस कंपनी का नाम बदलकर एअर इंडिया रख दिया गया और 1948 में इसे आंशिक रूप से सरकारी बनाया गया. 1953 में नेहरू सरकार ने पूर्ण राष्ट्रीयकरण कर इसे अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए भारत की “राष्ट्रीय ध्वजवाहक” बना दिया, जबकि घरेलू उड़ानें इंडियन एयरलाइंस को दे दी गईं.
एअर इंडिया ने बोइंग 707, 747 जैसे आधुनिक विमान अपने बेड़े में शामिल किए. इसका प्रतीक 'महाराजा' दुनिया भर में मशहूर हुआ.
1990 के बाद इस विमान की मुश्किलें शुरू हुईं. निजी एयरलाइंस जैसे जेट, किंगफिशर, इंडिगो के उदय से ये कंपनी भारी कर्जे में जाने लगी.
2007 में इसका विलय इंडियन एयरलाइंस के साथ कर दिया गया लेकिन इसकी हालत नहीं सुधरी. 2021 तक एअर इंडिया पर 60,000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो चुका था. जनवरी 2022 में टाटा ग्रुप ने फिर से एअर इंडिया को खरीद लिया.
90 वर्ष बाद ये कंपनी फिर टाटा परिवार के पास लौट आई है. अब टाटा नए बेड़े, विस्तार और ब्रांड को फिर से जिंदा करने में लगा है.
एलायंस एअर: भारत की एकमात्र सरकारी विमानन कंपनी
एलायंस एअर भारत की एकमात्र पूरी तरह सरकारी क्षेत्रीय एयरलाइन है. इसकी शुरुआत 1996 में हुई जब इसे एअर इंडिया रीजनल (Air India Regional) के नाम से इंडियन एयरलाइंस की सहायक कंपनी बनाया गया.
इसका उद्देश्य छोटे शहरों, टियर-2 और टियर-3 कस्बों और पूर्वोत्तर राज्यों को हवाई संपर्क से जोड़ना था. ये वो क्षेत्र थे जहां बड़ी एयरलाइंस कंपनियां जाना नहीं चाहती थी तो इसकी जिम्मेदारी एलायंस एअर को दी गई.
शुरू में इसके बेड़े में 30-50 सीटों वाले छोटे टर्बोप्रॉप विमान जैसे डोर्नियर 228 और ATR-42 थे. बाद में 70 सीटों वाले ATR 72-600 को मुख्य विमान बनाया गया.
2007 के एअर इंडिया-इंडियन एयरलाइंस विलय के बाद भी यह अलग कंपनी बनी रही. जब 2022 में टाटा ग्रुप ने एअर इंडिया खरीदा तो एलायंस एअर सरकार के पास ही रही, क्योंकि यह UDAN योजना की मुख्य ऑपरेटर थी.
वर्तमान में एलायंस एअर के पास 21 विमान हैं. इसके पास 111 पायलट हैं. एलायंस एअर अभी भारत के अंदर 59 डेस्टिनेशन और चेन्नई से श्रीलंका में जाफना तक 1 इंटरनेशनल डेस्टिनेशन को हर दिन 137 फ्लाइट्स के साथ कनेक्ट करती है.
एलायंस एअर खासकर पूर्वोत्तर, जम्मू-कश्मीर, लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार और छोटे हवाई पट्टियों पर सेवाएं देती है. सरकार की महात्वाकांक्षी उड़ान (UDAN) ये सबसे बड़ी ऑपरेटर है. एलायंस एअर अपने सरकारी दायित्वों का पालन करते हुए ऐसी कंपनी है जो कई जगहों पर एकमात्र हवाई सेवा उपलब्ध कराती है.
हालांकि यह लाभ में नहीं चलती लेकिन सामाजिक दायित्व के तहत सरकार इसे चलाती है. एलायंस एअर अभी भी 100% भारत सरकार के अधीन है.