NDA की तीसरी बार सरकार बन गई है और पीएम मोदी अपने मंत्रिमंडल समेत शपथ भी ले चुके हैं. कुल मिलाकर सरकार बनकर अपनी पंचवर्षीय योजनाओं में जुट गई है, लेकिन सियासी गलियारों में अब तक बीजेपी को बहुमत न मिल पाने की चर्चाएं जारी हैं. इसे लेकर तमाम विश्लेषण हो रहे हैं, लेकिन इसी बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' बीजेपी की महाराष्ट्र में राजनीति को लेकर सवाल उठाए हैं.
क्या बोले अजित पवार?
महाराष्ट्र में बीजेपी ने एनसीपी-शिवसेना के साथ महायुति गठबंधन बनाया है. ऑर्गनाइजर के लेख के सामने आने के बाद अजित पवार ने इसे लेकर बात की है. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और NCP (अजित गुट) चीफ ने कहा कि 'मैं इस पर कुछ भी टिप्पणी नहीं करना चाहता. आप मुझसे मेरे बारे में पूछें. परिणाम के बाद बहुत से लोग टिप्पणियां कर रहे हैं. हर किसी को ऐसा करने का अधिकार है. लोकतंत्र में टिप्पणी करने का अधिकार है, लेकिन मैं इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता. मुझसे केवल विकास के बारे में पूछें. मेरा ध्यान इस पर है. मैं आगामी चुनाव में महायुति के रूप में नई आशा के साथ एजेंडे के साथ जाऊंगा.'
RSS के आर्टिकल में लिखी हैं ये बातें
ऑर्गनाइजर के लेख पर अजित पवार से सवाल पूछा जाना इसलिए भी लाजिमी था क्योंकि लेख में NCP की आंतरिक कलह, फिर अजित गुट का बीजेपी में शामिल होना और इस तरह के कई राजनीतिक घटनाक्रमों को बीजेपी की ओर से की जाने वाली 'अनावश्यक राजनीति' बताया गया है. इस आलेख में कहा गया कि महाराष्ट्र अनावश्यक राजनीति का एक प्रमुख उदाहरण है. अजित पवार की अगुवाई में एनसीपी का धड़ा बीजेपी में शामिल हुआ, जबकि बीजेपी और शिवसेना के पास बहुमत था. शरद पवार का दो से तीन सालों में प्रभाव खत्म हो जाता क्योंकि एनसीपी अंदरूनी कलह से जूझ रही थी.
बीजेपी की नीतियों पर उठाए सवाल
आलेख के मुताबिक, 'महाराष्ट्र में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा क्योंकि वह 2019 के चुनाव की तुलना में सिर्फ नौ सीटें ही जीत सकी. शिंदे की अगुवाई में शिवसेना को सात सीटें जबकि अजित पवार की अगुवाई में एनसीपी को महज एक सीट मिली. लेख में यह भी लिखा है कि 'बीजेपी में ऐसे कांग्रेसी नेता को शामिल किया गया, जिसने बढ़-चढ़कर 'भगवा आतंक' की बात कही थी और 26/11 को 'आरएसएस की साजिश' बताया था और आरएसएस को 'आंतकी संगठन' तक कहा था. इससे आरएसएस समर्थक बहुत आहत हुए थे.'
RSS ने की है तीखी टिप्पणी
दरअसल, लोकसभा चुनावों के नतीजों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तीखी टिप्पणी सामने आई है. आरएसएस ने कहा है कि लोकसभा चुनाव के ये नतीजे बीजेपी के अतिउत्साहित कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए रियलिटी चेक है, जो अपनी ही दुनिया में मग्न थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व की चकाचौंध में डूबे हुए थे. इस तरह इन तक आमजन की आवाज नहीं पहुंच पा रही थी.