scorecardresearch
 

ऑपरेशन एयरलिफ्ट काबुल: पाक एयर स्पेस से दूरी बनाकर, कैसे भारत पहुंचे 120 लोग, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद मंगलवार को 120 भारतीयों की वतन वापसी कराई गई. भारतीय वायुसेना का C-17 विमान सोमवार सुबह काबुल से रवाना हुआ था. इसमें भारतीय दूतावास के कर्मचारी, वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी और कुछ भारतीय पत्रकारों को वापस लाया गया. भारतीयों को वापस लाए जाने की इनसाइड स्टोरी दिलचस्प है.

Advertisement
X
अफगानिस्तान से कई भारतीयों को भारत लाया गया.
अफगानिस्तान से कई भारतीयों को भारत लाया गया.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • विदेश मंत्री ने बनाए रखी थी ऑपरेशन पर नजर
  • नाटो फोर्सेज ने भी की भारत की मदद

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद मंगलवार को 120 भारतीयों की वतन वापसी कराई गई. भारतीय वायुसेना का C-17 विमान सोमवार सुबह काबुल से रवाना हुआ था. इसमें भारतीय दूतावास के कर्मचारी, वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी और कुछ भारतीय पत्रकारों को वापस लाया गया. भारतीयों को वापस लाए जाने की इनसाइड स्टोरी दिलचस्प है.

सूत्रों के मुताबिक भारतीयों की वापसी के दौरान पाकिस्तान के एयर स्पेस का प्रयोग नहीं किया गया क्योंकि ITBP के कमांडो हथियारों के साथ भारत आ रहे थे. इस वजह से दूसरा रास्ता अपनाया गया. ITBP के सभी कमांडो भारत अपने हथियारों के साथ उतरे. इस दौरान ITBP का जो आवश्यक सामान था वो सब भारत लाया गया.

सूत्रों के मुताबिक कुछ देर के लिए अमेरिकन फोर्सेज ने ITBP के अधिकारियों से स्निफर डॉग्स की जानकारी मांगी थी. भारत के इस कॉन्टिनजेन्ट के साथ 3 स्निफर डॉग कमांडो भी लौटे हैं. ये डॉग कमांडो काबुल एम्बेसी की सुरक्षा में ITBP टीम के साथ तैनात थे.

नाटो फोर्सेज ने एयरपोर्ट से सिविलियंस को हटाया

आज़तक से बातचीत में ITBP के कमांडो ने जानकारी दी कि एम्बेसी के बाहर और आसपास तालिबानियों का कब्जा हो गया है. एयरपोर्ट पर अफरा तफ़री है लेकिन अब नाटो फोर्सेज ने वहां से सिविलियन को हटा दिया है. ITBP की टीम के साथ आये एम्बेसी में काम करने वाले इलेक्ट्रीशियन ने आजतक से बताया कि वो वहां से अपना सामान भी लेकर नहीं आ पाए सिर्फ जो कपड़ा पहना है वही लेकर आए हैं. उन्होंने कहा कि एम्बेसी के बार तालिबानी कब्जा था.

Advertisement

एम्बेसी तक पहुंचने के लिए भारत ने डिप्लोमेसी का पूरा इस्तेमाल किया और US फोर्सेज ने रास्ता मुहैया कराया. ITBP के सभी कमांडो पूरे साजो सामान और हथियारों के साथ एयरपोर्ट तक आये. उन्होंने एम्बेसी और भारत के सिविलियंस लोगों को सुरक्षा देने के लिए ऐसा किया. इसके बाद ऑपरेशन "एयरलिफ्ट काबुल" शुरू हुआ.

इसपर भी क्लिक करें- PM मोदी बोले- अफगानिस्तान के हिंदू और सिख नागरिकों को भारत में देंगे शरण
 
सूत्रों के मुताबिक सबसे पहले C.-17 विमान ने हिंडन से उड़ान भरी थी जिसमें गरुण कमांडो भी थे. सोमवार शाम 4.20 मिनट पर C-17 ग्लोब मास्टर विमान ने उड़ान भरी थी. इस प्लेन में पूरी तैयारी के साथ एयरफोर्स की टीम गई थी. इस दौरान ईरान और पाक के एयर स्पेस को यूज़ नहीं किया गया. सूत्रों के मुताबिक ओमान और पर्शियन गल्फ होते हुए एयरफोर्स का विमान सबसे पहले तजाकिस्तान पहुंचा.

 नाटो फोर्सेज के क्लीयरेंस के बाद उतरा भारतीय विमान

तजाकिस्तान से भारतीय विमान मंगलवार सुबह काबुल एयरपोर्ट पर पहुंचा. नाटो फोर्सेज ने क्लीयरेंस दे दिया था जिसके बाद काबुल एयरपोर्ट पर भारतीय विमान लैंड किया. इस दौरान काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर नाटो फोर्सेज ने भारत की मदद की. 148 के करीब भारतीय गाड़ी के अंदर बैठकर एम्बेसी के पास से पैसेज देकर एयरपोर्ट तक क्लियर रास्ता दिया गया. 

मंगलवार सुबह 7:30 बजे यह काफिला एयरपोर्ट पर पहुंचा फिर सी-17 ग्लोबमास्टर भारत के लिए उड़ान भरी. इसमें एम्बेसी से जुड़े अधिकारी, ITBP के 100 ज्यादा जवान और कुछ पत्रकार सहित दूसरे लोग इस विमान में सवार होकर काबुल एयरपोर्ट से रवाना हुए. काबुल से निकलने के बाद लगभग 11:00 बजे के आसपास C-17 ग्लोबमास्टर जामनगर एयर फोर्स स्टेशन पहुंचा. जामनगर से हिंडन एयरबेस के लिए ये प्लेन 3.15 बजे निकला और 5:15 बजे हिंडन एयर फोर्स स्टेशन पर पहुंच गया.

Advertisement

विदेश मंत्री ने बनाए रखी थी ऑपरेशन पर नजर

इंडिया टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक इस ऑपरेशन के तीन मेन सेंटर थे. काबुल में भारतीय दूतावास, कैबिनेट, सेक्रेटरी और विदेश मंत्रालय. विदेश मंत्री यूएनएससी की बैठक के लिए न्यूयॉर्क जा रहे थे लेकिन फिर भी वह हालात पर नजर बनाए हुए थे. अपनी यात्रा के दौरान वह लगातार हालात पर नजर बनाए हुए थे और निर्देश दे रहे थे. ऑपरेशन के दौरान दो मुख्य गतिविधियां जिनपर नजर थी वो मिशन टू एयरपोर्ट और एयरपोर्ट टू इंडिया थी.

 

Advertisement
Advertisement