लालू के साथ सरकार चला चुके नीतीश, तेजस्वी के साथ तालमेल बिठा पाएंगे? फ़्रीबीज़ और वेलफ़ेयर स्कीम्स एक दूसरे से कितनी अलग? क्या महंगा होने वाला है हवाई सफ़र? सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.
बिहार में बदलाव हो गया. एनडीए की जगह अब सत्ता में महागठबंधन की सरकार आ चुकी है. चेहरा बेशक नीतीश कुमार है मगर उनके बरक्स खड़ी राजनीति बदल गई है. कल उन्होंने आठवीं दफे बिहार के सीएम पद की शपथ ली. राजद नेता तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने. ये पहली मर्तबा नहीं है कि नीतीश... राजद के साथ सरकार बना रहे हों. 2015 में भी महागठबंधन की सरकार बनी थी, फर्क बस इतना है कि उस वक्त नीतीश के बगल में लालू यादव थे और 2022 में इस दफा तेजस्वी यादव हैं. इसे आप जेनरेशन गैप भी कह सकते हैं. तो इसी लिहाज़ से कई जानकार इसे लेकर सवाल भी कर रहे हैं कि नीतीश और तेजस्वी जो खुद को चाचा-भतीजा कहते हैं इस जनरेशन गैप को मैनेज कैसे करेंगे. इसी कड़ी में कल प्रशांत किशोर जो एक समय नीतीश के काफी करीबी थे. उनका भी बयान आया. उन्होंने कहा कि 2022 का महागठबंधन 2015 के महागठबंधन से बहुत अलग है. लेकिन सवाल है कि कैसे? तेजस्वी यादव नीतीश से उम्र और तजुर्बे दोनों में उनसे छोटे हैं, तो दोनों एक दूसरे के साथ तालमेल कैसे बैठा पाएंगे?
फ़्रीबीज़ और वेलफ़ेयर स्कीम में क्या है अंतर?
‘रेवड़ी कल्चर’. ये एक ऐसा टर्म है जिसपर आजकल खूब बहस हो रही है. हाल ही में वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ये मांग की कि मुफ्तखोरी की घोषणा करने वाली पार्टियों की मान्यता रद्द कर दी जाए. बात बढ़ी तो आम आदमी पार्टी ने इसके खिलाफ कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर कर दी. मामला अभी थोड़ा शांत हुआ ही था कि कल प्रधानमंत्री मोदी का रेवड़ी कल्चर पर बयान आया. उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द रेवड़ी कल्चर ख़त्म होना चाहिए. और जब पीएम मोदी रेवड़ी कल्चर को ख़त्म करने की वकालत कर रहे थे तो दूसरी तरफ गुजरात में आम आदमी पार्टी चुनाव जीतने के बाद 18 साल से ऊपर उम्र की महिलाओं को हर महीने ₹1000 देने का वादा कर रही थी. इससे पहले भी उन्होंने राज्य में चुनाव जीतने के बाद फ्री बिजली देने का वादा किया है. पंजाब में तो इसे लागू भी कर दिया गया है. तो अब जब Freebies की बात चली है तो कई लोग सरकार की तरफ से जो वेलफेयर स्कीम चलाई जाती हैं उसे भी Freebies का नाम देते हैं, लेकिन क्या फ़र्क़ है दोनों में?
क्या हवाई सफ़र होगा महंगा?
एयरलाइंस के लिए खुशखबरी आनेवाली है. सरकार एयर फेयर से वो कैप हटाने जा रही है जो कोरोना काल में लगाया गया था. साल 2020 के मई महीने से इसे लागू किया गया था लेकिन अब ये हटेगा. इसका मतलब ये है कि एयरलाइंस अब अपने टिकट का प्राइस खुद तय कर सकेंगी. 31 अगस्त से ऊपरी और निचली दोनों तरह की लिमिट हट जाएंगी. कोरोना के दौर में निचली लिमिट इसलिए लगाई गई थी ताकि एयरलाइंस को बहुत घाटा ना हो और ऊपरी इसलिए लगाई गई थी ताकि डिमांड तेज़ होने पर यात्रियों से किराया ज़्यादा ना वसूला जाए. अब दो साल बाद सरकार ने पुरानी स्थिति फिर बहाल करने का जो फैसला लिया है तो ये जा रहा है कि अब एयरलाइंस टिकट महंगा और सस्ता दोनों कर सकती हैं, लग क्या रहा है कि यात्रियों को राहत मिलेगी या महंगाई बढ़नी है?
इन ख़बरों पर विस्तार से चर्चा के अलावा ताज़ा हेडलाइंस, देश-विदेश के अख़बारों से सुर्खियां, आज के दिन की इतिहास में अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.
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