वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम से भारत को क्या उम्मीदें हैं? तुर्की फिनलैंड और स्वीडन को क्यों नहीं बनने देना चाहता NATO का मेंबर? कौन हैं जेरेमी कॉर्बिन जिन्हें लेकर राहुल और मोदी पर कीचड़ उछाला जा रहा है? IPL 2022 के पहले क्वालिफ़ायर में कैसे जीती गुजरात? सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.
WEF में भारत का फ़ायदा कराएगा चीन
स्विट्जरलैंड के दावोस में दो साल बाद वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम हो रहा है. 22 से 26 मई तक ये चलने वाला है. सभी देश इसमें आने वाले कारोबारियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं. भारत की तरफ से सम्मेलन में गौतम अडाणी, संजीव बजाज, हरि एस भारतिया, श्याम सुंदर भारतिया जैसे उद्योगपति शामिल हो रहे हैं, वहीं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भारत का नेतृत्व कर रहे हैं. दो साल पहले जब इस फोरम का आयोजन होना था तो चीन ने उसको लेकर पूरी तैयारी की थी, लेकिन इस दफा वो ज्यादातर चर्चाओं का हिस्सा नहीं होगा, जिसके बाद अर्थशास्त्री भारत को कारोबारियों के लिए एक अच्छा ऑप्शन मान कर चल रहे हैं. वहीं इस बार वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में कौन से अहम मुद्दे हैं जिन पर सबसे ज्यादा फोकस है.
फिनलैंड स्वीडन की NATO सदस्यता में तुर्की क्यों लगा रहा अड़ंगा?
पिछले ही दिनों फिनलैंड और स्वीडन ने नेटो ज्वाइन करने की इच्छा जताई थी. अमेरिका ने इस कदम का स्वागत भी किया लेकिन तुर्की ने अपनी आपत्ति ज़ाहिर की. तुर्की भी नेटो का सदस्य है. हालांकि बाद में उसने स्वीडन की नेटो सदस्यता का समर्थन करने के लिए पांच शर्तें रखीं. मगर स्वीडन और फिनलैंड इसके लिए राज़ी नहीं थे. सो अब इस कड़ी में तुर्की को मनाने की कोशिश शुरू हो गई है. फिनलैंड के विदेश मंत्री पेक्का हाविस्तो ने कहा है कि इस मसले का हल करने के लिए आज एक टीम इस्तांबुल जाएगी ताकि तुर्की की जो आपत्तियां हैं उसे दूर किया जा सके. इससे पहले तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने शनिवार को दोनों नॉर्डिक देशों के नेताओं के साथ फोन पर बातचीत की थी. तो अब मूल सवाल यहां यही है कि तुर्की की चिंताएं क्या है, वो क्यों स्वीडन और फिनलैंड को नेटो का सदस्य बनाने के लिए राज़ी नहीं है?
कौन हैं जेरेमी कॉर्बिन?
कुछ ही हफ़्ते पहले नेपाल से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की एक तस्वीर आई और फिर लम्बा-चौड़ा विवाद हुआ. उस मर्तबा वे एक महिला के साथ खड़े थे जिनकी पहचान को लेकर भी ख़ूब माथापच्ची हुई की वे चीन की डिप्लोमेट हैं या कोई और. राहुल इन दिनों ब्रिटेन के दौरे पर हैं. और वहां से भी आ रहे उनके बयान और तस्वीर से सियासत गर्म है. इंडियन ओवरसीज कांग्रेस जो कि कांग्रेस का ही फॉरेन फोरम है. उसने एक ट्वीट किया कल जिसमें राहुल यूके के सांसद जेरेमी कॉर्बिन और सैम पित्रोदा के साथ खड़े हैं. सैम कॉंग्रेस के करीबी माने जाते हैं और इन्हें भारत में सूचना क्रांति का जनक कहा जाता है. सो, इनको लेकर तो कोई दिक्कत नहीं हुई. जेरेमी कॉर्बिन को लेकर बीजेपी के कुछ लीडर्स जैसे भाजपा के विदेश प्रभारी विजय चौथाईवाले ये कहने लगे कि ज़ेरेमी हिन्दू विरोधी हैं और भारत विरोधी ताकतों का समर्थन करते हैं. ऐसे में, राहुल उनके साथ खड़े होकर इसी को इंडोर्स कर रहे हैं. बात बढ़ी तो कांग्रेस ने भी जेरमी कॉर्बिन के साथ पीएम मोदी की तस्वीर साझा कर पलटवार किया. तो, कौन हैं जेरेमी कॉर्बिन, इनको लेकर किस तरह का विवाद रहा है जिस वज़ह से उन्हें भारत विरोधी बताया जा रहा है?
कैसे जीता गुजरात IPL 2022 का पहला क्वालिफ़ायर?
कल IPL 2022 के पहले क्वालिफायर में गुजरात टाइटंस ने राजस्थान रॉयल्स को 7 विकेट से हराकर फाइनल में जगह बना ली. राजस्थान की टीम ने 20 ओवर में 6 विकेट खोकर 188 रन बनाए थे. जिसके बाद गुजरात की तरफ से डेविड मिलर और हार्दिक पंड्या ने मैच में शानदार बल्लेबाजी करते हुए शतकीय साझेदारी की, जिसकी बदौलत गुजरात ने तीन गेंद रहते ही टारगेट हासिल कर लिया. आखिरी ओवर में एक समय ऐसा लग रहा था कि मैच फंस सकता है क्योंकि गुजरात को 16 रनों की ज़रूरत थी मगर डेविड मिलर ने प्रसिद्ध कृष्णा के शुरूआती तीन गेंदों पर ही तीन छक्के जड़ मैच गुजरात के पाले में लाकर खड़ा कर दिया. इससे पहले राजस्थान की तरफ से जोस बटलर ने सिर्फ 56 गेंद में 89 रन जड़ दिए थे. तो कौन से फैक्टर्स गुजरात के पक्ष में रहे और उसकी जीत की वजह बने.
इन ख़बरों पर विस्तार से चर्चा के अलावा ताज़ा हेडलाइंस, देश-विदेश के अख़बारों से सुर्खियां, आज के दिन की इतिहास में अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.