मालेगांव ब्लास्ट केस में 17 साल बाद फैसला आ गया है. इस मामले में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया गया है. अदालत ने सबूतों के अभाव में यह फैसला सुनाया है. कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि "अदालत सबूतों पर भरोसा नहीं कर सकती." कोर्ट ने इस पूरे मामले में गंभीर संदेह जताया. अदालत ने कहा कि सिर्फ शक के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. जांच एजेंसियों पर भी सवाल उठे हैं क्योंकि वे आरोपियों के खिलाफ विश्वसनीय सबूत पेश नहीं कर पाई.