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BMC चुनाव के लिए उद्धव-राज के बीच सीट शेयरिंग पर बनी बात, आधिकारिक घोषणा आज!

बीएमसी चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बन गई है. समझौते के तहत शिवसेना (यूबीटी) 150 से अधिक और एमएनएस 60–70 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.

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बीएमसी चुनावों के लिए उद्धव और राज ठाकरे के बीच सीट शेयरिंग पर बनी सहमति. (File Photo: PTI)
बीएमसी चुनावों के लिए उद्धव और राज ठाकरे के बीच सीट शेयरिंग पर बनी सहमति. (File Photo: PTI)

मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनावों को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम सामने आया है. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना  और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बन गई है. इस रणनीतिक गठबंधन का आधिकारिक ऐलान आज किए जाने की संभावना है. उद्धव और राज ठाकरे मराठी वोट बैंक को एकजुट करने और वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए एकसाथ आए हैं, ताकि इसका फायदा सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन को न मिले. सूत्रों के मुताबिक, सोमवार को हुई अंतिम दौर की बातचीत के बाद ठाकरे बंधुओं के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बनी.

इस समझौते को अंतिम रूप देने में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) सांसद संजय राउत की अहम भूमिका रही. उन्होंने राज ठाकरे से मुलाकात कर 10 से 12 विवादित सीटों पर सहमति बनाई. इसके बाद एमएनएस नेता नितिन सरदेसाई और बाला नांदगांवकर ‘मातोश्री’ पहुंचे, जहां उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर गठबंधन को अंतिम रूप दिया गया. सूत्रों के अनुसार, बीएमसी की कुल 227 सीटों में से शिवसेना (यूबीटी) 150 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि एमएनएस 60 से 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. शेष सीटें एनसीपी (शरदचंद्र पवार गुट) और अन्य छोटे सहयोगी दलों को दिए जाने की संभावना है.

यह भी पढ़ें: हार पर हार, अघाड़ी का बंटाधार... क्या निकाय चुनाव के नतीजों ने लिख दी BMC इलेक्शन की स्क्रिप्ट?

इस बीच, संजय राउत राहुल गांधी के संपर्क में भी हैं, ताकि कांग्रेस को महा विकास आघाड़ी (MVA) में बनाए रखा जा सके. एनसीपी (एसपी) भी सभी दलों को एकजुट रखने के लिए सक्रिय मध्यस्थता कर रही है. विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों का मानना है कि एकजुट रहकर ही महायुति को चुनौती दी जा सकती है. शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के बीच गठबंधन का आधिकारिक ऐलान वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए किए जाने की संभावना है. इसे शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और राजनीतिक विरोधियों को कड़ा संदेश जाएगा.

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हालांकि कुछ सीटों पर अब भी चर्चा जारी है, लेकिन मूल समझौता लगभग तय माना जा रहा है. कांग्रेस के एमएनएस से वैचारिक मतभेदों के चलते अकेले चुनाव लड़ने के फैसले के बावजूद उद्धव गुट को भरोसा है कि उनकी ‘मा-मु’ (मराठी-मुस्लिम) रणनीति मुंबई की राजनीति में बड़ा असर डाल सकती है और शहर के सियासी समीकरणों को नया रूप दे सकती है. बता दें कि बीएमसी चुनावों में बीजेपी और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच सीट बंटवारे को लेकर बैठकों का दौर जारी है और जल्द ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा.

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