महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले की एक अदालत ने 2016 में शादी का झांसा देकर एक महिला के साथ बलात्कार करने के आरोपी 21 वर्षीय व्यक्ति को उसकी गवाही में विसंगतियों और पुष्ट करने वाले सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए बरी कर दिया. इस बात की जानकारी एक अधिकारी ने एक न्यूज एजेंसी को दी.
अधिकारी के मुताबिक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डीएस देशमुख ने विजय दिनेश मिश्रा को बरी कर दिया. विजय पर भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार, मारपीट, धोखाधड़ी और आपराधिक धमकी के आरोप लगाए गए थे. 2 सितंबर को पारित आदेश की एक प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई.
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अक्टूबर 2016 में दर्ज मामले के अनुसार आरोपी ने शादी का झांसा देकर शिकायतकर्ता के साथ बार-बार बलात्कार किया. उसके साथ मारपीट की और उससे 6.4 लाख रुपये की ठगी की.
अभियोजन पक्ष ने सात साल तक चली सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता और उसके पिता सहित चार गवाहों से पूछताछ की. न्यायाधीश ने अदालत में महिला की गवाही और उसकी प्रारंभिक प्राथमिकी में विरोधाभास पाया.
अदालत ने बताया कि जनवरी 2016 में शुरू हुए हमलों की रिपोर्ट दर्ज कराने में हुई लंबी देरी, सहमति से बने संबंधों का संकेत देती है. अदालत ने कहा कि उसकी चुप्पी उसके इस बयान पर संदेह पैदा करती है कि आरोपी ने उसके साथ बार-बार बलात्कार किया.
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रिपोर्ट में महिला के कपड़ों पर मानव रक्त पाया गया, लेकिन अभियोजन पक्ष उस रक्त को आरोपी से जोड़ने वाले सबूत पेश करने में विफल रहा. बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि आरोपी के खिलाफ शिकायत एक वित्तीय विवाद के कारण दर्ज की गई थी.
अदालत ने यह भी कहा कि महिला ने आरोपी और उनके परिवारों के साथ झगड़ा करने की बात स्वीकार की. जिसके कारण क्रॉस-शिकायतें दर्ज की गईं. न्यायाधीश ने यह भी बताया कि महिला और उसके पिता ने एक समझौता पत्र और आरोपी से पैसे लेने की बात स्वीकार की थी. अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष आरोपी के अपराध को उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा.