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महाराष्ट्र में हिंदी भाषी लोगों पर हमले का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, MNS की मान्यता रद्द करने की मांग की

महाराष्ट्र में हिंदी भाषी लोगों पर हो रहे हमलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है.याचिका में आरोप लगाया गया है कि महाराष्ट्र नव निर्माण सेना और उसके नेता राज ठाकरे के भड़काऊ भाषणों के कारण हिन्दी भाषी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है और उन पर हमला किया जा रहा है.

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सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (MNS) द्वारा महाराष्ट्र में हिंदी भाषी लोगों पर हो रहे हमलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता ने नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ FIR दर्ज करने और चुनाव आयोग से MNS की मान्यता रद्द करने की मांग की है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि महाराष्ट्र नव निर्माण सेना और उसके नेता राज ठाकरे के भड़काऊ भाषणों के कारण हिन्दी भाषी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है और उन पर हमला किया जा रहा है.

MNS की मान्यता रद्द करने की मांग

सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका मे याचिकाकर्ता ने नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ FIR दर्ज करने और चुनाव आयोग से महाराष्ट्र नव निर्माण सेना की मान्यता रद्द करने की मांग की है. ये याचिका उत्तर भारतीय विकास सेना के अध्यक्ष सुनील शुक्ला ने दाखिल की है.

सदन में भी उठा मुद्दा

बता दें कि बीते दिनों संसद के बजट सत्र के दौरान महाराष्ट्र में हिंदी भाषी यूपी-बिहार के लोगों पर हमले का मामले गूंजा था. इस मुद्दे को सदन में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास के सांसद राजेश वर्मा ने उठाया. 

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राजेश वर्मा ने आरोप लगाया कि राज ठाकरे की पार्टी के कार्यकर्ता रोजी-रोटी कमाने महाराष्ट्र गए यूपी-बिहार के हिंदी भाषी लोगों को निशाना बनाकर मारपीट कर रहे हैं. उन्होंने इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस से संज्ञान लेने की मांग की है.

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