मुंबई में होने वाले बीएमसी चुनाव को लेकर एक अहम मामला सामने आया है. यहां 18 साल की एक छात्रा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की कि उसे मतदान करने का अधिकार दिया जाए. छात्रा की दलील थी कि उसने इस साल अप्रैल में 18 साल की उम्र पूरी कर ली है, इसलिए उसे आगामी बीएमसी चुनाव में मतदान करने का हक मिलना चाहिए. लेकिन महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने इस मांग का विरोध किया है और स्पष्ट कर दिया है कि अभी उसे वोट डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
याचिकाकर्ता रुपिका सिंह, जो कि प्रभादेवी की रहने वाली हैं और एमबीए टेक की छात्रा हैं, उन्होंने कोर्ट में कहा कि जब वह अब बालिग हो चुकी हैं, तो उन्हें स्थानीय निकाय चुनाव में वोट डालने का अवसर मिलना चाहिए. साथ ही उन्होंने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश देने की मांग भी की ताकि उनका नाम मतदाता सूची में शामिल किया जा सके.
राज्य चुनाव आयोग का पक्ष
राज्य चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट आशुतोष कुम्भाकोनी ने पीठ के सामने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि भारत का चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोग दो अलग संवैधानिक संस्थाएं हैं. लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए मतदाता सूची चुनाव आयोग तैयार करता है, जबकि स्थानीय निकाय चुनाव कराने की जिम्मेदारी राज्य चुनाव आयोग की होती है. लेकिन ऐसा नहीं है कि राज्य आयोग अपनी खुद की सूची बनाए. बल्कि उसे वही सूची जैसी है वैसी ही लेनी होती है जो केंद्र चुनाव आयोग तैयार करता है.
कुम्भाकोनी ने स्पष्ट किया कि राज्य चुनाव आयोग के पास मतदाता सूची अपडेट करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए आखिरी मतदाता सूची 1 अक्टूबर 2024 को तय की गई थी. राज्य चुनाव आयोग ने बीएमसी चुनाव के लिए 1 जुलाई 2025 को कट ऑफ तारीख घोषित की थी, जिसका नोटिफिकेशन 23 अगस्त 2025 को जारी हुआ था.
क्यों नहीं मिल पाएगा वोट का अधिकार
सरकार और चुनाव आयोग के अनुसार, मतदाता सूची हर समय अपडेट नहीं होती. यह प्रक्रिया संसद और विधानसभा चुनावों से पहले होती है. उस दौरान ड्राफ्ट सूची जारी की जाती है, आपत्तियां और सुझाव लिए जाते हैं, फिर नाम जोड़े या हटाए जाते हैं. उसके बाद ही अंतिम सूची तैयार होती है. इसलिए अभी अप्रैल में बालिग हुई छात्रा का नाम तुरंत शामिल नहीं किया जा सकता.
कुम्भाकोनी ने कहा कि वोट देने का अधिकार और वोट डालने का संवैधानिक अधिकार दोनों में फर्क है. वोट देने का अधिकार कानून से मिलता है जबकि वोट डालने का अधिकार संविधान से सुरक्षित है. लेकिन इस अधिकार का प्रयोग तभी हो सकता है जब नाम आधिकारिक मतदाता सूची में हो.
कोर्ट की टिप्पणी
पीठ ने पूछा कि आखिरी बार मतदाता सूची कब अपडेट हुई थी. इस पर कुम्भाकोनी ने जवाब दिया कि विधानसभा चुनाव 2024 के दौरान यह काम हुआ था और क्योंकि अभी नई सूची तैयार नहीं हुई है, इसलिए फिलहाल पुरानी सूची ही मान्य है. अदालत ने यह मामला गंभीर मानते हुए छात्रा को अगली सुनवाई 6 नवंबर तक अपनी दलीलें और मजबूत करने का वक्त दिया है.
छात्रा की दलील और असहमति
छात्रा का कहना है कि जब वह बालिग हो चुकी हैं, तो उन्हें लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को लगातार मतदाता सूची अपडेट करते रहना चाहिए. लेकिन आयोग ने कहा कि यह प्रक्रिया भविष्य की मतदाता सूची के लिए होती है, न कि वर्तमान चुनाव के लिए.
मामले का महत्व
यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हर साल बड़ी संख्या में युवा 18 साल की उम्र पूरी करते हैं और पहली बार वोट देने का इंतजार करते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उन्हें समय पर मतदाता सूची में जगह मिल पा रही है या नहीं. इस मामले का असर आने वाले समय में मतदाता सूची और चुनाव प्रक्रिया में सुधार को लेकर चर्चा बढ़ा सकता है. अभी मामला कोर्ट में है और अगली सुनवाई का इंतजार है.