scorecardresearch
 

एक धमाका, 6 मौतें, 100 जख्मी... 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में क्या हुआ था?

मालेगांव ब्लास्ट मामले में 23 अक्टूबर, 2008 को इस मामले में जांच एजेंसी ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिवनारायण कालसांगरा और श्याम भावरलाल साहू को गिरफ्तार किया.  जांच एजेंसी ने दावा किया कि मोटरसाइकिल प्रज्ञा के नाम रजिस्टर्ड थी. ATS ने कर्नल प्रसाद पुरोहित को भी गिरफ्तार किया था. उन पर कश्मीर से RDX लाने का आरोप था. बाद में स्वामी असीमानंद भी गिरफ्तार हुए.

Advertisement
X
NIA कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित को बरी कर दिया है. (File Photo: ITG)
NIA कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित को बरी कर दिया है. (File Photo: ITG)

रमजान का महीना था. जगह थी महाराष्ट्र के नासिक जिले में बस मालेगांव शहर. घटना 17 साल पहले की है. रात के 9.35 बज रहे थे. नमाजियों की भीड़ थी. और बाजार में हलचल थी. तभी अंजुमन चौक के पास मौजूद एक मस्जिद के सामने मौजूद एक बाइक में जोरदार ब्लास्ट हुआ. ये बाइक एलएमएल फ्रीडम मोटरसाइकिल था. जिसमें कथित तौर पर एक बम ब्लास्ट हुआ था. 

इस तेज धमाके से खौफ पैदा हो गया. धमाके की तीव्रता से आसपास की दुकानें और मकान क्षतिग्रस्त हो गए, अफरा-तफरी मच गई. इस ब्लास्ट की चपेट में आकर 6 लोगों की मौत हो गई थी. 

इनके नाम थे फरहीन उर्फ शगुफ्ता शेख लियाकत, शेख मुश्ताक यूसुफ, शेख रफीक मुस्तफा, इरफान जियाउल्लाह खान, सैयद अजहर सैयद निसार और हारून शाह मोहम्मद शाह. इस घटना में 101 लोग घायल हो गए थे. 

आज 17 साल बाद पुलिस ने इस मामले में सभी 7 आरोपियों को बरी किया है. अदालत ने कहा है कि जांच एजेंसी इनके खिलाफ आरोप साबित नहीं कर सकती है. 

धमाके से मालेगांव के साथ साथ महाराष्ट्र की सियासत को थर्रा देने वाली ये तारीख थी 29 सितंबर 2008. धमाके के बाद 30 सितंबर 2008 को मालेगांव के आजाद नगर पुलिस थाने में मामले दर्ज किए गए. लेकिन मामला संवेदनशील होने के कारण महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS) को सौंपा गया. 

Advertisement

मामले  में जांच आगे बढ़ी तो एटीएस की जांच में 'अभिनव भारत' संस्था का नाम सामने आया था. 

23 अक्टूबर, 2008 को इस मामले में जांच एजेंसी ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिवनारायण कालसांगरा और श्याम भावरलाल साहू को गिरफ्तार किया.  जांच एजेंसी ने दावा किया कि मोटरसाइकिल प्रज्ञा के नाम रजिस्टर्ड थी.

ATS ने कर्नल प्रसाद पुरोहित को भी गिरफ्तार किया था. उन पर कश्मीर से RDX लाने का आरोप था. बाद में स्वामी असीमानंद भी गिरफ्तार हुए.

27 दिसंबर 2008 को महाराष्ट्र एटीएस के सामने एक गवाह ने कथित तौर कहा कि वह आरोपी व्यक्तियों की दो बैठकों में शामिल हुआ था. एक बैठक जनवरी 2008 में भोपाल में और दूसरी उसी साल अप्रैल में नई दिल्ली में हुई थी.

एटीएस के अनुसार हमले की योजना बनाने के लिए अभिनव भारत समूह के सदस्यों ने बैठकें की थी.

नवंबर 2008 तक इस मामले में कुल 11 गिरफ्तारियां हुईं. इन पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) लगाया गया.

जुलाई 2010 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सभी आरोपियों पर मकोका जारी रखा था. 

2013: NIA ने चार्जशीट दाखिल की जिसमें अभिनव भारत संगठन के सदस्यों पर धार्मिक विद्वेष फैलाने की साजिश का आरोप लगा. 

15 अप्रैल 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटकर मकोका को हटा दिया.

Advertisement

25 अप्रैल, 2017 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को सशर्त जमानत दे दी है.

दिसंबर 2018 में मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई. 323 गवाहों की गवाही ली गई, जिनमें से 40 अपने बयानों से मुकर गए.

सुनवाई के दौरान ATS पर जबरन बयान लेने के आरोप लगे. साध्वी प्रज्ञा ने तत्कालीन ATS चीफ हेमंत करकरे पर प्रताड़ना का आरोप लगाया.
 
25 जुलाई 2024-19 अप्रैल 2025: अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें पूरी. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।

31 जुलाई 2025: मुंबई की विशेष NIA कोर्ट ने सभी 7 आरोपियों (साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी, समीर कुलकर्णी) को बरी कर दिया. कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि मोटरसाइकिल में बम रखा गया था. 
 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement