scorecardresearch
 

Cow Hug Day के समर्थन में आगे आए हिंदू संगठन, बजरंग दल ने बताया कैसे किया जाएगा सेलिब्रेशन

14 फरवरी को वैलेंटाइन डे है. लेकिन इसके सेलिब्रेशन को लेकर नई बहस छिड़ गई है. दरअसल, पशु कल्याण बोर्ड ने युवाओं से इस दिन काउ हग डे (Cow Hug Day) मनाने की अपील की है. अपील के मुताबिक इस दिन लोगों को गायों को गले लगना चाहिए. एक तरफ बीजेपी सहित हिंदू संगठन इसके समर्थन में हैं तो वहीं विपक्ष विरोध कर रहा है.

Advertisement
X

हिंदू संगठनों ने पशु कल्याण बोर्ड की उस अपील का समर्थन किया है, जिसमें वैलेंटाइन डे (14 फरवरी) के दिन काउ हग डे (Cow Hug Day) मनाने की अपील की गई थी. मुंबई के हिंदू संगठनों ने अपील का स्वागत करते हुए लोगों से इसे सेलिब्रेट करने की गुजारिश की है. बजरंग दल की तरफ से बयान जारी कर कहा गया है कि पशु कल्याण बोर्ड का यह कदम स्वागत योग्य है. गायों को गले लगाने से लोगों में पॉजिटिविटी आएगी. पश्चिम के देशों में यह पहले से किया जा रहा है.

बजरंग दल के जिला कॉर्डिनेटर गौतम रावरिया ने कहा कि उनका संगठन गाय की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. इसलिए बजरंग दल 14 फरवरी को काउ हग डे के रूप में मनाकर गायों के साथ समय बिताएगा. इसके साथ ही विश्व हिंदू परिषद ने भी पशु कल्याण बोर्ड की अपील का समर्थन किया है. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के नेता गाय को गले लगाने की अपील का समर्थन कर रहे हैं तो वहीं महाराष्ट्र का विपक्ष इसे लेकर बीजेपी पर हमलावर है. 

मुंबई में एनसीपी के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो इस अपील पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि लोगों से 14 फरवरी को ही काउ हग डे मनाने के लिए क्यों कह रहा है? इस दिन तो वेलेंटाइन डे है. उन्होंने सवाल किया है कि क्या इसके लिए कोई और तारीख तय नहीं की जा सकती थी? क्या केंद्र सरकार वैलेंटाइन डे को बढ़ावा दे रही है? उन्होंने आगे कहा कि इस फैसले पर उनके (भाजपा) पश्चिम संस्कृति का विरोध करने वाले दोस्त क्या प्रतिक्रिया देंगे? शिव सेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने सरकार के इस फैसले पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के लिए अडानी एक पवित्र गाय है, जिसे वह गले लगा रही है. लेकिन आम लोगों से गाय को गले लगाने की अपील की जा रही है. 

Advertisement

AWBI ने अपील के पीछे बताया तर्क

दरअसल,पशु कल्याण बोर्ड की तरफ से एक अपील जारी की गई है. इसमें कहा गया है कि समय के साथ पश्चिम संस्कृति की प्रगति के कारण वैदिक परंपराएं लगभग विलुप्त होने की कगार पर हैं. पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध ने हमारी भौतिक संस्कृति और विरासत को लगभग भुला दिया है. पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्य पालन विभाग के निर्देश पर सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन से जारी किया गया है. एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (AWBI) की तरफ इस संबंध में अपील की गई है. इसमें कहा गया है कि हम सभी जानते हैं कि गाय भारतीय संस्कृति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है.

Advertisement
Advertisement