मुंबई स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बैंक ऑफ इंडिया के निलंबित पूर्व कर्मचारी हितेश कुमार सिंगला को गिरफ्तार किया है. सिंगला पर बैंक और उसके ग्राहकों के 127 खातों से 16 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप था.
सिंगला को 17 सितंबर को अहमदाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन से मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद आरोपी को कोर्ट के समक्ष पेश किया गया, अदालत ने उसे 23 सितंबर तक 7 दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है.
ईडी ने हितेश कुमार सिंगला और अन्य के खिलाफ जांच शुरू की. यह जांच सीबीआई, एसीबी मुंबई द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर की जा रही है, जिसमें आईपीसी की धारा 409, बीएनएस की धारा 316(5) और पीसी अधिनियम, 1988 की धारा 13(2) सहपठित धारा 13(1)(ए) के तहत आरोप लगाए गए हैं.
ईडी की जांच में पता चला कि मई 2023 से जुलाई 2025 के बीच सिंगला ने सावधानी और आपराधिक इरादे से सावधि जमा (टीडी), सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ), वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस), बचत बैंक (एसबी) और चालू खाते (सीए) से बिना अनुमति पैसा निकालकर उसे अपने निजी एसबीआई बचत खाते में जमा कर दिया.
जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी ने पहचान छिपाने के लिए 127 खाताधारकों को निशाना बनाया, जिसमें वरिष्ठ नागरिक, नाबालिग, मृतक ग्राहक और निष्क्रिय/कमजोर खाते शामिल थे.
जांच में सामने आया कि आरोपी ने इस रकम को छोटे-छोटे हिस्सों में सीक्रेट तरीके से शिफ्ट किया था. इस तरीके से हितेश सिंगला ने बैंक ऑफ इंडिया और उसके ग्राहकों को 16.10 करोड़ का नुकसान पहुंचाया. इससे बैंक की प्रतिष्ठा ठेस पहुंची और अपने आरोपी ने पद का दुरुपयोग कर जनता का विश्वास कम किया.
धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद सिंगला फरार हो गया था. उसे इस बारे में बैंक में कोई जानकारी नहीं दी. तकनीकी निगरानी और खुफिया जानकारी के आधार पर ईडी ने उसे अहमदाबाद जंक्शन से पकड़ लिया, जबकि वह उज्जैन से वेरावल जा रही महामना एक्सप्रेस ट्रेन में बार-बार सीट और डिब्बा बदलकर पुलिस की पकड़ से बचने की कोशिश कर रहा था. गिरफ्तारी के बाद उसके एक सहयोगी के परिसर में पीएमएलए की धारा 17 के तहत तलाशी ली गई.